भारतीय शेयर बाजारों में शुक्रवार को तेज गिरावट दर्ज की गई. गुरुवार को लोकसभा में वित्त विधेयक के बिना किसी संशोधन के पारित होने से निवेशकों को धक्का लगा जिसका असर बाजार पर भी दिखा. वित्त विधेयक के बिना किसी संशोधन के पारित हो जाने का मतलब है कि अमीरों पर लगाया गया अतिरिक्त कर वापस नहीं लिया गया जैसा कि एसोसिएशन ऑफ फॉरेन पोर्टफोलियो ने निवेदन किया था.
शुक्रवार को सेंसेक्स में 560 अंकों से ज्यादा या 1.44 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और यह 38,337 अंक के स्तर पर बंद हुआ. दिन में कारोबार के दौरान यह 38,271.35 अंक के निचले और 39,058.73 अंक के उच्च स्तर तक गया. वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी की बात करें तो उसमें भी 178 अंकों यानी 1.53 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और यह 11,419 पर बंद हुआ. यह कारोबार के दौरान 11,399.30 अंके के निचले और 11,640.35 अंक के उच्च स्तर के बीच रहा.
सबसे तीव्र गिरावट वाहन कंपनियों के शेयर में देखी गयी. महिंद्रा एंड महिंद्रा, बजाज फाइनेंस, टाटा मोटर्स, हीरो मोटोकॉर्प, इंडसइंड बैंक, येस बैंक, बजाज ऑटो, कोटक बैंक, भारतीय स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक के शेयर में 4.36 प्रतिशत तक की गिरावट रही. वहीं तिमाही परिणाम जारी होने से पहले रिलायंस का शेयर 1.01 प्रतिशत टूटकर बंद हुआ. सेंसेक्स में शामिल एनटीपीसी, पावरग्रिड, टीसीएस और ओएनजीसी शेयर का भाव ही बढ़ा. यह बढ़त 2.32 प्रतिशत तक रही. संसद में वित्त विधेयक पर बहस के दौरान बृहस्पतिवार को निर्मला सीतारमण जवाब दे रही थीं. उन्होंने धनाढ्यों पर प्रस्तावित कर अधिभार बढ़ाने का विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) पर प्रभाव पड़ने की बहस को खारिज कर दिया. सीतारमण ने कहा कि एफपीआई यदि अपना एक कंपनी के तौर पर पंजीकरण कराते हैं तो उन पर धनाढ्य पर बढ़ाये गये कर अधिभार का असर नहीं होगा.
शेयर बाजार में निवेश करने वाले कई एफपीआई ट्रस्ट के तौर पर पंजीकृत हैं, उन्हें ऊंचे कर अधिभार से बचने के लिये कंपनी के तौर पर पंजीकरण कराना चाहिये. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने बृहस्पतिवार को 1,404.86 करोड़ रुपये की निकासी की. जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 329.05 करोड़ रुपये के शेयर की खरीदारी की.
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