कृषिमंत्री शरद पवार ने कहा है कि वर्ष 2012-13 में देश के कृषि क्षेत्र की विकास दर, प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) द्वारा व्यक्त अनुमान से बेहतर रहेगी। वर्ष 2011-12 में कृषि विकास दर 2.8 प्रतिशत रही थी।
पवार ने बताया, कृषि क्षेत्र की विकास दर पिछले वर्ष की तरह नहीं रहेगी, बल्कि यह उसके आस पास रहेगी। पीएमईएसी ने खराब मॉनसून के मद्देनजर अगस्त में अनुमान जताया था कि कृषि विकास दर तेजी से घटकर चालू वित्तवर्ष में 0.5 प्रतिशत पर आ जाएगी।
पवार से पूछा गया था कि क्या कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन की अगुवाई वाले पीएमईएसी द्वारा व्यक्त किए गए अनुमान के मुताबिक रहेगा।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2011-12 कृषि क्षेत्र के लिए एक एक अपवाद था जब खाद्यान्न उत्पादन 60 वर्ष के उच्चतम स्तर 25 करोड़ 74.4 लाख टन के उच्चतम स्तर तक चला गया।
पवार ने यह भी कहा कि खराब मानसून तथा कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात जैसे चार राज्यों में सूखा के बावजूद ‘‘कुल खाद्यान्न उत्पादन पिछले पांच वषरे के औसत उत्पादन से कहीं बेहतर होने की उम्मीद है। भंडारण की समस्या होने वाली है यह मैं कह सकता हूं।’’
अभी पूरा हुए खरीफ सत्र (जून से सितंबर) में मॉनसून में बोई गई फसल कमजोर मानसून के कारण प्रभावित हुई। इसके परिणामस्वरूप कृषि मंत्रालय ने अपने पहले आधिकारिक अनुमान में खरीफ सत्र में खाद्यान्न उत्पादन 10 प्रतिशत घटकर 11 करोड़ 71.8 लाख टन रहने का अनुमान व्यक्त किया।
चालू रबी सत्र में कृषि उत्पादन के बेहतर होने की संभावना व्यक्त करते हुए पवार ने कहा, गेहूं की बुवाई इस महीने शुरू ही हुई है। मिट्टी में नमी की मात्रा काफी अच्छी है और इसलिए हम पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश में गेहूं खेती का रकबा बढ़ने होने की उम्मीद करते हैं। कृषि मंत्रालय ने चालू वर्ष के लिए कुल रबी खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य 12 करोड़ टन रखा है।