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प्याज निर्यात पर प्रतिबंध के खिलाफ हैं शरद पवार

प्याज की कीमतों में उछाल के बीच कृषि मंत्री शरद पवार ने आज कहा कि वह इसके निर्यात के खिलाफ हैं, क्योंकि इससे विश्व बाजार में कृषि उत्पादों के निर्यातक बाजार में भारत की साख गिरेगी।
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NDTV Profit हिंदी01:34 PM IST, 24 Jul 2013NDTV Profit हिंदी
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प्याज की कीमतों में उछाल के बीच कृषि मंत्री शरद पवार ने आज कहा कि वह इसके निर्यात के खिलाफ हैं, क्योंकि इससे विश्व बाजार में कृषि उत्पादों के निर्यातक बाजार में भारत की साख गिरेगी। कृषि मंत्री ने कहा कि प्याज की तेजी थोड़े अस्थायी है। महाराष्ट्र जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में भारी बारिश के कारण आपूर्ति बाधित हुई है।

पवार डेयरी क्षेत्र पर सीआईआई द्वारा आयोजित एक समारोह के दौरान संवाददाताओं से अलग से कहा, किसी कृषि उत्पाद के निर्यात पर प्रतिबंध उचित नहीं है ... भारत ने अब वैश्विक बाजार में कृषि उत्पादों के एक प्रमुख निर्यातक के तौर पर अपने आपको स्थापित कर लिया है। यदि हम निर्यात पर प्रतिबंध लगाते हैं तो यह छवि प्रभावित होगी। इसलिए हम प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि देश का कृषि निर्यात वित्त वर्ष 2012-13 के दौरान बढ़कर 2.33 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो इससे पिछले साल 1.86 लाख करोड़ रुपये था।

सूत्रों के मुताबिक, वाणिज्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय कुछ समय के लिए प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध पर विचार कर रहे हैं ताकि देश में प्याज की कीमत कम की जा सके और उपभोक्ताओं को राहत प्रदान किया जा सके, जो पहले ही महंगाई के बोझ तले दबे हैं।

यह पूछने पर कि प्याज की कीमत कब कम होगी, पवार ने कहा, यह (तेजी) थोड़े समय की है। प्रमुख उत्पादक राज्यों में भारी बारिश से आपूर्ति प्रभावित हुई है। बारिश से फसल, परिवहन और लॉजिस्टिक्स प्रभावित हुआ है। प्याज की खुदरा कीमत दिल्ली और देश के मुख्य भागों में बढ़कर 35-40 रुपये प्रति किलो हो गई है, जबकि एशिया के सबसे बड़े प्याज बाजार महाराष्ट्र के लासलगांव में प्याज का थोकमूल्य 25 रुपये प्रति किलो हो गया है। प्याज की कीमत पर नई फसल के आने से पहले अक्तूबर तक दबाव रहने की आंशका है।

आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक, भारत ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 776.47 करोड़ रुपये मूल्य का 5,11,616 टन प्याज का निर्यात किया था। पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 5,17,274 टन था।

हालांकि इस साल उत्पादन करीब 1.5-1.6 करोड़ टन रहने की उम्मीद है। तमिलनाडु जैसे राज्यों में फसल कम होने के कारण महाराष्ट्र पर दबाव पड़ा है।

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