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2-जी मामले में मोदी सरकार को झटका, वेणुगोपाल एमिकस क्यूरी नियुक्त

सरकार को तगड़ा झटका देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने वरिष्ठ वकील केके वेणुगोपाल को 2-जी मामले में एमिकस क्यूरी (अदालत की मदद करने वाला वकील) नियुक्त किया है।
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NDTV Profit हिंदी09:55 PM IST, 09 Sep 2015NDTV Profit हिंदी
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सरकार को तगड़ा झटका देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने वरिष्ठ वकील केके वेणुगोपाल को 2-जी मामले में एमिकस क्यूरी (अदालत की मदद करने वाला वकील) नियुक्त किया है। सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को आदेश दिया कि मामले से संबद्ध तमाम जानकारियां और दस्तावेज वेणुगोपाल को सौंपे जाएं।

वेणुगोपाल को एमिकस क्यूरी नियुक्त करने का फैसला मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू और न्यायाधीश अरुण मिश्रा की खंडपीठ ने लिया। यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वेणुगोपाल 2-जी मामले में पहले दिन से सीबीआई और ईडी की मदद कर रहे थे। बाद में उन्हें यह कह कर हटा दिया गया कि 'हितों का टकराव' हो रहा है।

इस बात को बताते हुए कि मामले की सुनवाई आखिरी दौर में है, दत्तू ने वेणुगोपाल से कहा, "हम आपको अपने साथ बतौर एमिकस क्यूरी चाहते हैं।"

मुख्य न्यायाधीश ने वेणुगोपाल को सम्मानित वरिष्ठ वकील बताया और कहा कि वे वेणुगोपाल से प्रार्थना कर रहे हैं कि वह "2जी मामले में अदालत की मदद जारी रखें।"

वेणुगोपाल से कहने से पहले मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "मुझे पता है कि उनसे (सीबीआई-ईडी) से कैसे कहना है" कि वेणुगोपाल अपना काम इस मामले में जारी रखेंगे। एक स्वयंसेवी संस्था के वकील प्रशांत भूषण ने अदालत को बताया था कि पहले ईडी ने वेणुगोपाल का नाम वापस लिया और फिर सीबीआई ने भी यही काम किया।

ईडी ने वेणुगोपाल को अपना प्रतिनिधित्व करने से तब मना कर दिया था जब 8 सितंबर 2014 को सर्वोच्च न्यायालय ने ईडी को निर्देश दिया था कि राजेश्वर सिंह नाम के एक अफसर को वह बतौर उप-निदेशक अपने साथ रखे। ईडी ऐसा नहीं चाहता था। राजेश्वर सिंह पर ईडी का रुख वही नहीं था जो वेणुगोपाल का था। इस वजह से वित्त मंत्रालय ने ईडी से कहा कि हितों के टकराव की वजह से वेणुगोपाल को ईडी अपने वकीलों की सूची से हटा दे।

इसी संदर्भ में प्रशांत भूषण ने कहा कि राजेश्वर सिंह पर अदालत के आदेश से नाराज ईडी ने वेणुगोपाल को हटा दिया। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि एक 'न्यायिक आदेश' के आधार पर अदालत ने सिंह को ईडी में लेने की बात कही थी। हालांकि इस आदेश का एक अन्य वरिष्ठ वकील एल नागेश्वर राव ने विरोध किया था।

केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) ने आदेश दिया था कि राजेश्वर सिंह को ईडी बतौर उप निदेशक अपने यहां रखे। ईडी के विरोध के बाद सिंह ने सर्वोच्च न्यायालय की शरण ली थी।

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