जल्द ही स्पेक्ट्रम की ताजा नीलामी होने की चर्चा के बीच कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार से कहा कि 'मुनाफा नहीं, सेवा' उसका आदर्श-वाक्य होना चाहिए, क्योंकि उद्देश्य आम आदमी की सेवा होना चाहिए।
पार्टी ने कहा, 'स्पेक्ट्रम आवंटन के संदर्भ में मुनाफा नहीं, सेवा सरकार का आदर्श-वाक्य होना चाहिए।' पार्टी ने कहा, 'स्पेक्ट्रम नीलामी में वित्तीय रूप से बोझ से दबी दूरसंचार कंपनियां स्पेक्ट्रम के लिए बड़ी राशियां निकालेंगी। और यह कयास लगाने पर कोई इनाम नहीं है कि वे कैसे और किससे - आमजन से - इस खर्च की भरपाई करेंगी। यह आप और हम हैं।'
वेबसाइट पर डाले गए एक आलेख में कांग्रेस ने कहा, 'मोदी जी, आप भारत के प्रधानमंत्री हैं, उसके सीईओ नहीं हैं। आपका ध्यान मुनाफे पर नहीं, कल्याण पर होना चाहिए।' विपक्षी पार्टी ने सवाल किया, 'किसी सरकार का क्या उद्देश्य होता है? लोगों की विशाल संख्या को शासन और सेवाओं तक आसान पहुंच प्रदान करना या सरकार का मुनाफा और कुछ निजी कंपनियों का मुनाफा बढ़ाना है?'
कांग्रेस ने रेखांकित किया कि स्पेक्ट्रम से मुनाफा लेने से विकास प्रभावित होगा। उसने आश्चर्य जताया कि अगर शुल्क बढ़ाया गया तो कैसे मोदी की पसंदीदा मोबाइल आधारित स्कीम लागू की जाएंगी। पार्टी ने कहा, 'मोदी समझते हैं कि उनकी नीतियां आलोचना से परे हैं, जबकि तथ्य यह है कि भारत अभी एक आर्थिक संकट के मध्य में बैठा है, जिसका बोझ प्रधानमंत्री और उनके कारोबारी दोस्त नहीं महसूस कर रहे हैं, बल्कि भारत के अन्य 99 प्रतिशत लोग महसूस कर रहे हैं।
कांग्रेस ने कहा कि सरकार का फर्ज कारोबार के फलने-फूलने के लिए उपयुक्त माहौल बनाना है और नीतिगत खाका प्रदान करना है, जो निवेश लाभ को बढ़ावा देता हो, जिसका लाभ अधिकतम संख्या में लोग उठा सकें। उसने कहा, 'उनका फर्ज मुनाफा बढ़ाने की कोशिश करने वाले किसी बड़े कॉर्पोरेट घराने की तरह बर्ताव करना नहीं है।' कांग्रेस ने जोर दिया कि जब सरकार मुनाफे के पीछे भागती है तो कल्याण को नुकसान होता है और सरकार का समर्थन चाहने वाले लोग दरकिनार किए जाते हैं।
पार्टी ने कहा, 'मोदी भारत के प्रधानमंत्री हैं, इसके सीईओ नहीं हैं। हम नागरिक हैं, शेयरधारी नहीं। हमें सेवाएं चाहिए, लाभांश नहीं।' ऐसी रिपोर्टें हैं कि सरकार स्पेक्ट्रम नीलामी से ढेर सारी रकम हासिल करने की योजना बना रही है। यह उसे राजकोषीय घाटा कम करने में बहुत मदद करेगी। 2015-16 के बजट के अनुसार सरकार ने संचार से 42,865 करोड़ रुपये पाने का लक्ष्य बनाया है, जिसमें स्पेक्ट्रम नीलामी और लाइसेंस फीस शामिल है।