हाल की तेजी के बाद निवेशकों की मुनाफावसूली के साथ शेयर बाजार में सुगठन का दौर आ सकता है तथा आगे और सुधारों की घोषणाओं के अनुरूप इसकी दिशा निर्धारित होगी। विशेषज्ञों ने यह राय व्यक्त की है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इसके अलावा निवेशकों का ध्यान मुख्य रूप से कंपनियों के दूसरी तिमाही के नतीजों पर रहेगा, जिनकी घोषणा दूसरे सप्ताह से होनी शुरू होगी। गांधी जयंती के मौके पर मंगलवार को शेयर बाजार बंद रहेगा।
कोटक सिक्योरिटीज के प्राइवेट क्लाइंट ग्रुप रिसर्च के प्रमुख दीपेन शाह ने कहा, बाजार में सुगठन का दौर आएगा और सुधारों से इसकी दिशा तय होगी। चीन द्वारा अपनी अर्थव्यवस्था को समर्थन देने की कोई भी पहल सकारात्मक कदम होगी विशेषकर जिंसों के लिए।
शाह ने कहा कि बाजार की नजर सरकार की ओर से राजकोषीय पहल पर भी होगी और इस मोर्चे पर उम्मीदें काफी अधिक हैं। सितंबर के मुद्रास्फीति के आंकड़े कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण होंगे क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक की अगली नीतिगत समीक्षा बैठक में ब्याज दरों के फैसले के संदर्भ में ये आंकड़े महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
इसके अलावा इस सप्ताह ऑटो और सीमेंट कंपनियों के शेयर केन्द्र में होंगे क्योंकि इन दो क्षेत्रों की कंपनियां सितंबर के बिक्री आंकड़ों की घोषणा करेंगी। बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स लगातार दूसरे सप्ताह मामूली तेजी दर्शाता बंद हुआ। स्पेन द्वारा वर्ष 2013 के लिए ‘संकट’ के बजट की घोषणा के कारण वैश्विक तेजी के कारण सत्र के अंतिम दौर में लिवाली में आई तेजी से बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 14 माह के उच्च स्तर 18,762 अंक पर बंद हुआ।
सीएनआई रिसर्च के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक किशोर ओस्तवाल के अनुसार, ऐसा प्रतीत होता है कि तेजी का रुख कुछ कम होगा और कुछ मुनाफावसूली का दौर देखने को मिल सकता है। इस माह के आरंभ में सरकार ने कई सारे सुधारात्मक कदम उठाए जैसे कि उसने बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए खोला तथा विदेशी विमानन कंपनियों को घरेलू एयरलाइंस में हिस्सेदारी खरीदने की अनुमति दी। इसके अलावा प्रसारण क्षेत्र के लिए एफडीआई नियमों को उदार बनाया गया।
इस बीच, सरकार ने कहा है कि विदेशी मुद्रा के मजबूत अंत:प्रवाह के कारण रुपया अगले चार महीनों में डॉलर के मुकाबले 50 रुपये प्रति डॉलर के स्तर को छू सकता है। आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव अरविंद मायाराम ने शुक्रवार को कहा, अगर रुपये में आगे और मजबूती आती है, जैसा होने की हमें उम्मीद है, सरकार के द्वारा जिस तरह के कदम उठाए जा रहे हैं उसे देखते हुए हमें लगता है कि अगले दो-तीन महीने अथवा चार महीने में रुपया 50 प्रति डॉलर के स्तर पर मजबूत हो सकता है।
पूंजी अंत:प्रवाह तथा और नीतिगत सुधारों की उम्मीद के कारण शुक्रवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 52.49 रुपये प्रति डॉलर के पांच माह के उच्चतम स्तर को छू गया। रुपया सप्ताहांत में 52.85 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। उन्होंने कहा कि रुपये की मजबूती सब्सिडी खर्च को कम करने में तथा मुद्रास्फीति को नीचे लाने में मदद मिलेगी।