देश के शेयर बाजारों ने गत सप्ताह भी तेजी का सिलसिला जारी रखा। बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स गत सप्ताह के कारोबार में 0.05 फीसदी या 9.91 अंकों की तेजी के साथ 18,762.74 पर बंद हुआ, जो पिछले करीब 14 महीने का ऊपरी स्तर है।
सेंसेक्स इससे पिछले सप्ताह 1.56 फीसदी या 288.56 अंकों की तेजी के साथ 18,752.83 पर बंद हुआ था।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी गत सप्ताह के कारोबार में 0.2 फीसदी या 12.15 अंकों की तेजी के साथ 5,703.30 पर बंद हुआ। निफ्टी इससे पिछले सप्ताह 2.03 फीसदी या 113.50 अंकों की तेजी के साथ 5,691.15 पर बंद हुआ था।
आलोच्य अवधि में बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में ढाई फीसदी से अधिक तेजी रही। मिडकैप 2.72 फीसदी या 174.86 अंकों की तेजी के साथ 6,607.29 पर बंद हुआ। मिडकैप इससे पिछले सप्ताह 3.00 फीसदी या 187.53 अंकों की तेजी के साथ 6,432.43 पर बंद हुआ था। स्मॉलकैप सूचकांक 3.06 फीसदी या 208.68 अंकों की तेजी के साथ 7,017.89 पर बंद हुआ।
स्मॉलकैप इससे पिछले सप्ताह 2.81 फीसदी या 186.09 अंकों की तेजी के साथ 6,809.21 पर बंद हुआ था।
गत सप्ताह सेंसेक्स के तेजी वाले शेयरों में प्रमुख रहे महेंद्रा एंड महेद्रा (6.97 फीसदी), भेल (6.26 फीसदी), सिप्ला (5.33 फीसदी), टाटा पावर (4.14 फीसदी) और आईटीसी (3.92 फीसदी)। सेंसेक्स में गिरावट में रहने वाले प्रमुख शेयरों में प्रमुख रहे भारती एयरटेल (5.11 फीसदी), स्टरलाइट इंडस्ट्रीज (4.65 फीसदी ), ओएनजीसी (4.41 फीसदी), कोल इंडिया (3.35 फीसदी) और टाटा मोटर्स (2.87 फीसदी)।
बीएसई के 13 में से आठ सेक्टरों में तेजी रही। उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु (4.77 फीसदी), तेज खपत वाली उपभोक्ता वस्तु (4.00 फीसदी), रियल्टी (3.91 फीसदी), बिजली (2.95 फीसदी) और स्वास्थ्य सेवा (2.32 फीसदी) में सर्वाधिक तेजी रही। गिरावट वाले पांच सेक्टरों में रहे तेल एवं गैस (2.17 फीसदी), धातु (1.41 फीसदी), सूचना प्रौद्योगिकी (1.01 फीसदी), प्रौद्योगिकी (0.96 फीसदी) और सार्वजनिक कम्पनियां (0.90 फीसदी)।
सप्ताह के प्रमुख घटनाक्रमों में वैश्विक रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने सोमवार को भारत की विकास दर का पूर्वानुमान एक प्रतिशतांक घटाकर 5.5 फीसदी कर दिया और कहा कि भारत में कम बारिश होने और यूरोपीय संकट के जारी रहने तथा अमेरिका में उम्मीद से कम आर्थिक तेजी रहने के कारण ऐसा किया गया।
सोमवार को ही दूसरी ओर प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सी. रंगराजन ने कहा कि देश की आर्थिक विकास दर मौजूदा कारोबारी साल में 6.7 फीसदी रहेगी, क्योंकि मानसून उम्मीद से बेहतर रहा और दूसरी छमाही में विकास दर में तेजी आएगी।
मद्रास स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स के स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के इतर मौके पर रंगराजन ने कहा, "हमारा अनुमान था कि विकास दर लगभग 6.7 फीसदी रहेगी, जो पिछले साल की तुलना में थोड़ी बेहतर है। मुझे लगता है कि दूसरी छमाही में विकास दर में तेजी आएगी और इसके संकेत मिल रहे हैं।" उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र की विकास दर पहले जताए अनुमान से बेहतर रहेगी, क्योंकि मानसून उम्मीद से बेहतर रहा है।
ताजा सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल-जून 2012 की तिमाही में देश की विकास दर 5.5 फीसदी रही है जबकि इसी अवधि में पिछले साल की विकास दर आठ फीसदी थी।
जनवरी-मार्च तिमाही में देश की विकास दर नौ सालों के निचले स्तर 5.3 फीसदी पर पहुंच गई थी।
गुरुवार को प्रेसीडेंशियल रेफरेंस का जवाब देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन का एकमात्र तरीका नीलामी नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश एसएच कपाड़िया की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने कहा कि जहां राजस्व को अधिक से अधिक बढ़ाने की बात हो, वहां नीलामी एक बेहतर विकल्प हो सकता है, लेकिन प्राकृतिक संसाधनों की नीलामी के अलावा प्रत्येक तरीके को बंद नहीं किया जा सकता है।
प्रेसीडेंशियल रेफरेंस में अदालत की राय मांगी गई थी कि क्या सभी प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन का एकमात्र तरीका नीलामी है।
शुक्रवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक नई व्यवस्था लागू की जिसके तहत वृद्धावस्था पेंशन और छात्रवृत्ति जैसी सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थी के बैंक खातों में बैंक से सीधे नकदी का हस्तांतरण होगा।
नई पहल का मकसद सभी तरह की रियायतों को इलेक्ट्रॉनिक नकदी हस्तांतरण के जरिए सीधे लाभार्थियों के खातों में नकदी भेजना है।