गत सप्ताह देश के शेयर बाजारों के प्रमुख सूचकांकों सेंसेक्स और निफ्टी में डेढ़ फीसदी से अधिक तेजी दर्ज की गई। इसी अवधि में मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांक क्रमश: तीन और ढाई फीसदी उछले। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स गत सप्ताह 1.76 फीसदी या 364.14 अंकों की तेजी के साथ शुक्रवार को 21,079.72 पर बंद हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी इसी अवधि में 1.72 फीसदी या 105.85 अंकों की तेजी के साथ 6274.25 पर बंद हुआ।
गत सप्ताह सेंसेक्स के 30 में से 26 शेयरों में तेजी दर्ज की गई। मारुति सुजुकी (7.00 फीसदी), भेल (6.91 फीसदी), सिप्ला (6.30 फीसदी), टीसीएस (5.82 फीसदी) और विप्रो (5.78 फीसदी) में सर्वाधिक तेजी रही। सेंसेक्स के चार शेयरों एचडीएफसी बैंक (3.65 फीसदी), जिंदल स्टील (3.54 फीसदी), एनटीपीसी (1.24 फीसदी) और एचडीएफसी (0.86 फीसदी) में गिरावट रही।
बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में गत सप्ताह सेंसेक्स से अधिक तेजी रही। मिडकैप 3.17 फीसदी या 199.99 अंकों की तेजी के साथ 6,502.49 पर और स्मॉलकैप 2.62 फीसदी या 160.84 अंकों की तेजी के साथ 6,291.96 पर बंद हुए।
गत सप्ताह के प्रमुख घटनाक्रमों में भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार 18 दिसंबर को मौजूदा कारोबारी साल की मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा में रेपो दर को 7.75 फीसदी पर जस-का-तस छोड़ कर बाजार का चकित कर दिया।
सोमवार, 16 दिसंबर को थोक मूल्य पर आधारित महंगाई दर का आंकड़ा जारी हुआ। ताजा आंकड़े के मुताबिक, थोक महंगाई दर नवंबर 2013 में पिछले 14 महीने के शिखर 7.52 फीसदी पर पहुंच गया। इससे बाजार में यह आशंका व्याप्त हो गई थी कि बुधवार को मौद्रिक नीति समीक्षा में रिजर्व बैंक रेपो दर को बढ़ा सकता है।
बुधवार को अमेरिका के फेडरल रिजर्व हर माह 85 अरब डॉलर के बांडों की खरीदारी के कार्यक्रम की गति धीमी करते हुए खरीदारी के आकार को जनवरी से 75 अरब डॉलर करने का फैसला ले लिया। अमेरिकी अर्थव्यवस्था को दी जा रही राहत में कटौती करने का संकेत देने के कारण कुछ महीने पिछले बाजार में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई थी। हालांकि इसे तब रोक देने के कारण बाजार वापस संभल गया था।
बाजार हालांकि बाद में राहत में कटौती के लिए तैयार हो गया और यह अमूमन माना जा रहा था कि फेड दिसंबर की समीक्षा में इसकी वापसी की घोषणा कर सकता है। फेड के फैसले का बाजार पर अधिक नकारात्मक असर नहीं पड़ा, क्यों भारतीय अर्थव्यवस्था ने इसके लिए समुचित तैयारी कर ली थी।