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SEBI प्रमुख ने कहा: कार्वी शेयर ब्रोकिंग ऐसे कार्यों में लिप्त थी जिसकी अनुमति नहीं थी

जून में सेबी ने एक सर्कुलर जारी कर अपनी स्थिति इस मामले में स्पष्ट कर दी थी कि किसी भी इकाई को इस तरह की गतिविधियों में संलिप्त नहीं होना चाहिये. इससे पहले की भी इस तरह की गतिविधियों में संलिप्तता को स्वीकार नहीं किया जायेगा.
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NDTV Profit हिंदी02:57 PM IST, 27 Nov 2019NDTV Profit हिंदी
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कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग प्रकरण के बाद पूंजी बाजार नियामक (SEBI) ने बुधवार को कहा कि यह ब्रोकरेज कंपनी ऐसी गतिविधियों में लिप्त पाई गई जिनकी कभी अनुमति नहीं दी गई थी. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के चेयरमैन अजय त्यागी की टिप्पणी ऐसे समय आई है जब नियामक ने कुछ ही दिन पहले स्टॉक ब्रोकिंग फर्म कार्वी के कामकाज करने पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाई है. कार्वी ब्रोकिंग फर्म उसके पास रखे ग्राहकों के शेयरों में अपनी सहयोगी इकाइयों के जरिये खरीद- फरोख्त करने के काम में लिप्त पाई गई.

त्यागी ने कहा कि जून में सेबी ने एक सर्कुलर जारी कर अपनी स्थिति इस मामले में स्पष्ट कर दी थी कि किसी भी इकाई को इस तरह की गतिविधियों में संलिप्त नहीं होना चाहिये. इससे पहले की भी इस तरह की गतिविधियों में संलिप्तता को स्वीकार नहीं किया जायेगा. SEBI अध्यक्ष कंपनी संचालन पर आयोजित आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) की एशियाई बैठक के मौके पर अलग से संवाददाताओं से कहा, "बुनियादी तौर पर जिसकी कभी अनुमति नहीं थी, वह काम किया जा रहा था. ऐसा नहीं है कि इसके लिये जून में ही मना किया गया है." उन्होंने कहा, "चाहे इस मामले में स्पष्ट तौर पर पहले कुछ भी नहीं कहा गया था फिर भी आप अपने स्तर पर ग्राहकों के शेयरों का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं, ऐसा कोई नहीं कर सकता है." त्यागी ने दोहराया यह बुनियादी मुद्दा है जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है.

शुक्रवार को स्टॉक ब्रोकिंग कंपनी कार्वी को शेयर ब्रोकिंग गतिविधियों के लिये नये ग्राहकों का पंजीकरण करने से रोक दिया गया था. कंपनी पर ग्राहकों की प्रतिभूतियों का दुरुपयोग करने का आरोप है. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने इस संबंध में SEBI को प्राथमिक रिपोर्ट भेजी थी, उसके बाद ही SEBI की तरफ से कदम उठाया गया. SEBI ने कहा कि एक्सचेंज की शुरुआती रिपोर्ट मिलने के बाद ही कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग लिमिटेड के खिलाफ 19 अगस्त को सीमित जांच की गई. इसमें एक जनवरी के बाद के सौदों की जांच की गई. SEBI के पूर्णकालिक सदस्य अनंत बरुआ की 12 पृष्ठ के अंतरिम आर्डर में कहा गया है कि मामले में ग्राहकों की प्रतिभूतियों का आगे दुरुपयोग रोकने के लिये तुरंत नियामकीय हस्तक्षेप की जरूरत है.

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