रिलायंस को 4जी का लाइसेंस देने में अनियमितता बरतने के आरोप लगाते हुए लाइसेंस रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा। याचिका में कहा गया है कि रिलायंस को सिर्फ डाटा सर्विस के लिए लाइसेंस दिया गया था, लेकिन बाद में 40 हजार करोड़ रुपये की फीस की बजाए 16 सौ करोड़ रुपये में ही वायस सर्विस का लाइसेंस दे दिया गया, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर चाहते हैं कि ऐसा मैकेनिज्म होना चाहिए, जिससे ये पता चल सके कि जनहित याचिका हकीकत में जनहित के लिए ही दाखिल की गई हैं। उनका कोई व्यावसायिक हित नहीं है। एनजीओ सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह के सवाल उठाए हैं।
चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने सीपीआईएल के वकील प्रशांत भूषण से पूछा-