सर्वोच्च न्यायालय ने विमानों की 'अनावश्यक खरीद' पर शुक्रवार को एयर इंडिया, केंद्र सरकार, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) तथा केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को नोटिस भेजा है। अदालत ने नोटिस पर चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
न्यायालय ने ये नोटिस एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किए, जिसमें कहा गया है कि एयर इंडिया ने अनावश्यक रूप से 111 विमान खरीदे, जिससे सरकारी खजाने को 67,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ और राष्ट्रीय विमानन कम्पनी घाटे में चली गई।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एचएल दत्तू तथा न्यायमूर्ति सी के प्रसाद की पीठ ने सेंटर फॉर पब्लिक इंटेरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) की याचिका पर सुनवाई के बाद ये नोटिस जारी किए। याचिका में विमानों की खरीद तथा सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने वाले अन्य निर्णयों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) या विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने का अनुरोध किया गया है। इसमें कहा गया है कि ये निर्णय वर्ष 2004 से 2008 के बीच लिए गए थे, जब प्रफुल्ल पटेल केंद्र में नागरिक उड्डयन मंत्री थे।
सीपीआईएल ने विमानों को लीज पर लेने के मामले की जांच कराने का भी अनुरोध किया, जिसके कारण हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
सीपीआईएल ने राष्ट्रीय विमान सेवा कम्पनी पर निजी विमानन कम्पनियों को लाभ पहुंचाने के लिए उड़ान का लाभदायक मार्ग तथा समय छोड़ने का आरोप लगाते हुए इसकी भी जांच कराने की मांग की।
याचिका में कहा गया है कि उस वक्त एयर इंडिया का मुनाफा 100 करोड़ रुपये का था, लेकिन इसकी क्षमता यहां तक कि कुछ विमान खरीदने की भी नहीं थी। पर इसने 111 विमानों की खरीदी की, जिससे राष्ट्रीय विमानन कम्पनी घाटे में चली गई और यह घाटा बढ़ता ही गया।
याचिका के अनुसार, इन फैसलों से किसी को फायदा हुआ है तो सिर्फ विदेशी विमान निर्माताओं और निजी व विदेशी विमानन कम्पनियों को।