केंद्र में सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार के लिए एक अच्छी ख़बर देते हुए अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी स्टैन्डर्ड एंड पूअर्स (एसएंडपी) ने शुक्रवार को भारत की क्रेडिट आउटलुक को संशोधित कर 'ऋणात्मक' से 'स्थिर' कर दिया है, और उसका मानना है कि एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत के आर्थिक हालात में सुधार हुआ है।
अप्रैल तथा जून, 2014 के बीच भारत ने पिछली नौ तिमाहियों की तुलना में सबसे तेज़ वृद्धि दर्ज की है, तथा बीजेपी नेता नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली नई सरकार वित्तीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4.1 प्रतिशत से नीचे ही नियंत्रित रखने के लिए प्रतिबद्ध है। विश्लेषकों के अनुसार, मजबूत सरकार, स्थिर मुद्रा तथा तेज़ गति से आर्थिक सुधार होने की उम्मीदों के चलते रेटिंग में बदलाव किया गया।
येस बैंक की वरिष्ठ अध्यक्ष (Senior President) तथा मुख्य अर्थशास्त्री (Chief Economist) डॉ शुभदा राव ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि एसएंडपी द्वारा रेटिंग में किया गया यह संशोधन पिछले एक वर्ष के दौरान मोटे तौर पर आई स्थिरता को स्वीकार करना है। उन्होंने कहा, "सितंबर, 2013 से पहले का समय ऐसा था, जब भारत कतई डांवाडोल स्थिति में था, और मुद्रा भी कतई स्थिर नहीं थी... इनमें से अधिकतर मुद्दों का इलाज कर दिया गया है, और वृद्धि के आसार बेहतर दिखने लगे हैं..."
वर्ष 2012 में एसएंडपी तथा फिच रेटिंग्स ने भारत के क्रेडिट आउटलुक को घटाकर 'ऋणात्मक' कर दिया था, और चेतावनी दी थी कि इसे और घटाकर 'जंक' किया जा सकता है। हालांकि फिच रेटिंग्स ने पिछले ही साल भारत के संप्रभु आउटलुक को वापस 'स्थिर' कर दिया था।
इस खबर के बाद भारतीय रुपये में भी अमेरिकी डॉलर के मुकाबले शानदार रिकवरी देखने को मिल रही है, और वह एक डॉलर की तुलना में 50 पैसे की जोरदार उछाल के साथ 61.62 के स्थान पर 61.12 पर आ गया है, तथा शेयर बाज़ारों में भी तेजी दर्ज की गई।