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भारत की औसत आर्थिक वृद्धि दर 2026-27 तक 6.7 प्रतिशत रहने की उम्मीद: एसएंडपी

घरेलू खपत में तेजी के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि दर वित्त वर्ष 2026-27 तक औसतन 6.7 प्रतिशत रहने की संभावना है. एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के वरिष्ठ अर्थशास्त्री (एशिया-प्रशांत) विश्रुत राणा ने बुधवार को यह कहा. उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि के छह प्रतिशत के आसपास पर रहने की संभावना है. यह बीते वित्त वर्ष 2022-23 की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत से कम है.
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NDTV Profit हिंदी03:52 PM IST, 29 Jun 2023NDTV Profit हिंदी
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घरेलू खपत में तेजी के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि दर वित्त वर्ष 2026-27 तक औसतन 6.7 प्रतिशत रहने की संभावना है. एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के वरिष्ठ अर्थशास्त्री (एशिया-प्रशांत) विश्रुत राणा ने बुधवार को यह कहा. उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि के छह प्रतिशत के आसपास पर रहने की संभावना है. यह बीते वित्त वर्ष 2022-23 की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत से कम है.

राणा ने यहां एक वेबिनार (ऑनलाइन आयोजित सेमिनार) में कहा, “हम व्यापारिक दृष्टि से कुछ चुनौतियां देख रहे हैं, जिससे गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं. चालू वर्ष में वृद्धि को प्रभावित करने में एक कारक यह भी है.”

राणा ने कहा कि वृद्धि दर को पिछले वित्त वर्ष के 7.2 प्रतिशत से चालू वर्ष में नीचे लाने वाले कारकों में कमजोर अंतरराष्ट्रीय बाजार, दबी हुई मांग में तेजी के बाद उसमें आ रही नरमी और निजी क्षेत्र में खपत में कमी आना है.

उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति के अंतर्गत नीतिगत दर में वृद्धि से उपभोक्ता मांग पर कुछ असर पड़ने की आशंका है.

राणा ने कहा, “हमारा अनुमान है कि आर्थिक वृद्धि दर वित्त वर्ष 26-27 तक औसतन 6.7 रहेगी. चालू वित्त वर्ष 2023-24 में वृद्धि दर के छह प्रतिशत पर रहने की संभावना है.”

उन्होंने कहा कि उपभोक्ता गतिविधियां वृद्धि तय करने में प्रमुख कारक होंगी. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत पर रहने का अनुमान जताया है.

राणा ने कहा, “मुद्रास्फीति नरम हो रही है.. हमें नहीं लगता कि आरबीआई में ब्याज दरों में कमी लाने की जल्दबाजी है.”

उन्होंने कहा कि आरबीआई के ब्याज दरों में कटौती के लिए 2024 की शुरुआत तक इंतजार करने की संभावना है. यह तब तक नहीं होगा, जब तक मुद्रास्फीति की संभावनाएं पूरी तरह से स्थिर न हो जाएं.

खुदरा मुद्रास्फीति मई में लगभग दो साल के निचले स्तर 4.25 प्रतिशत पर आ गई. आरबआई को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है.

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