अब भारत में ही एक शहर से दूसरे शहर तक हवाई यात्रा करने पर थोड़ा-सा ज़्यादा पैसा देने के लिए तैयार हो जाइए.
दरअसल, केंद्र सरकार ने छोटे शहरों को हवाई मार्ग से जोड़ने की अपनी योजना के लिए धनराशि जुटाने की खातिर एक नई फीस की घोषणा की है, जो लोकप्रिय रूटों पर चलने वाली एयरलाइन कंपनियों को देनी होगी. लेकिन तसल्ली की बात यह है कि हवाई यात्रा करने वालों पर ज़्यादा बोझ नहीं पड़ेगा, और उन्हें हर यात्रा में ज़्यादा से ज़्यादा 50 रुपये अतिरिक्त चुकाने होंगे.
नियम के अनुसार, उड़ान जितने लंबे रूट की होगी, एयरलाइन कंपनी को फीस उतनी ही ज़्यादा चुकानी होगी. सरकार ने इसके लिए तीन स्लैब तय किए हैं. 1,000 किलोमीटर तक की दूरी तय करने वाली उड़ानों के लिए यह फीस 7,500 रुपये रहेगी, 1,500 किलोमीटर तक की उड़ानों के लिए 8,000 रुपये, तथा उससे ज़्यादा दूरी की उड़ानों के लिए एयरलाइन कंपनी को 8,500 रुपये अदा करने होंगे.
सरकार को इन नई दरों से हर साल लगभग 400 करोड़ रुपये एकत्र होने की उम्मीद है.
जिस वक्त सरकार ने 'क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना' की घोषणा की थी, उसने तय किया था कि एक घंटे या उससे कम समय की उड़ानों की कीमत सिर्फ 2,500 रुपये रहेगी. सरकार ने कहा था कि ऐसे इलाकों में, जहां उड़ानें कम जाती हैं, इन सस्ती उड़ानों को सब्सिडाइज़ करने के लिए मौजूदा रूटों पर एक छोटा कर लागू किया जाएगा, ताकि इस योजना के लिए धन जुटाया जा सके.
'उड़ान' योजना (UDAN - उड़े देश का आम नागरिक) जनवरी में शुरू होने जा रही है.
सरकार ने उन एयरपोर्टों की भी पहचान कर ली है, जो फिलहाल कम इस्तेमाल हो रहे हैं, या बिल्कुल इस्तेमाल नहीं किए जा रहे हैं, लेकिन वहां टर्मिनल बिल्डिंग और एयर ट्रैफिक कंट्रोल टॉवर जैसा बुनियादी ढांचा मौजूद है. सरकार ने अगले चार साल में इस्तेमाल नहीं हो रहे 50 एयरपोर्टों को दोबारा शुरू करने के लिए 4,000 करोड़ रुपये खर्च करने की प्रतिबद्धता जताई है.
(इनपुट एजेंसियों से भी)