वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज इंवेस्टर सर्विस ने सोमवार को कहा कि भारत की साख को इसकी मजबूत विकास क्षमता, उच्च निजी बचत से मदद मिलती है, जिससे सरकार को अनुकूल शर्तों पर निधि मिलने में आसानी होती है.
वहीं, दूसरी तरफ मूडीज ने कहा कि साख में इस मजबूती का असर उच्च सरकारी कर्जों के कारण खत्म हो जाता है, जोकि सकल घरेलू उत्पाद के 67.4 फीसदी तक पहुंच चुका है. साथ ही नियामक और बुनियादी ढांचे की कमी, सुधारों की मंद रफ्तार और बैंकों का बढ़ता गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (फंसे हुए कर्जे) भी भारत की साख बिगाड़ती है.
मूडीज ने भारत के सालाना साख विश्लेषण में कहा, 'पिछले कुछ सालों से बाह्य विकास भारत के पक्ष में रहा है, जैसे वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें नीतिगत उपायों से साथ रही है (अतीत की तुलना में कम उदार या कड़ी राजकोषीय या मौद्रिक नीतियों सहित), छोटे राजकोषीय घाटे के साथ एक अधिक स्थिर व्यापक आर्थिक विकास की दिशा में अर्थव्यवस्था को स्थानांतरित करने के लिए, कम मुद्रास्फीति और कम चालू खाते का घाटा आदि.'
एजेंसी ने आगे कहा, 'हालांकि नीति व्यवस्था के अल्पकालिक परिणाम, पिछले साल तक लगातार दो प्रतिकूल मॉनसून के कारण अपेक्षाकृत नाममात्र का जीडीपी विकास हुआ है.' मूडीज ने अनुमान लगाया है कि कॉरपोरेट मुनाफा अभी कम ही रहने का अनुमान है, जिसके कारण अगली कुछ तिमाहियों में उनका निवेश प्रभावित होगा.
मूडीज ने कहा, 'अगले दो सालों में असली जीडीपी विकास दर का 7.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाते हैं. सांकेतिक रूप से हम साल 2017 तक जीडीपी की दर 10 फीसदी के पार करने की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं करते हैं.'
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