घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए उत्सुक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कानूनों और सरकार के कामकाज की शैली में बदलाव का वादा किया, ताकि रोजगार के नए अवसर पैदा हो सके और अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाया जा सके।
'मेक इन इंडिया' अभियान शुरू करने के तीन महीने बाद प्रधानमंत्री ने आज विनिर्माण क्षेत्र को बाधित कर रही अड़चनों के बारे में शीर्ष उद्योगपतियों और सरकारी अधिकारियों की बातों को सुना और सामूहिक एवं पारदर्शी निर्णय प्रक्रिया का वादा किया।
उन्होंने कहा, 'पिछले तीन महीने में सरकारी मशीनरी को दुरुस्त किया गया और वह अब बदलाव के लिए तैयार है... अगर हमें कानून बदलना है तो हम तैयार हैं। अगर हमें नियम बदलना है तो हम तैयार हैं। अगर हमें व्यवस्था बदलनी है तो हम तैयार हैं।' उन्होंने इस अभियान के बारे में दिन भर चली कार्यशाला के बाद यह बात कही।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार के कामकाज की बाधाओं को दूर किया गया है। उन्होंने सामूहिक निर्णय प्रक्रिया पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, 'सरकार ऊपर से लेकर नीचे तक आम तौर पर एबीसीडी संस्कृति में फंसी है। ए का मतलब है एवाइड (टालना), बी का मतलब है बाईपास (बचकर निकलना) सी से कन्फूज़ (भ्रमित) और डी-डिले (विलंब)। हमारा प्रयास है कि इस संस्कृति को रोड पर लाए। रोड में आर का मतलब है रिस्पांसिबिलिटी (जिम्मेदारी), ओ से ओनरशिप (स्वामित्व), ए से एकाउंटिबिलीटी (जवाबदेही) और डी से डिस्पिलिन (अनुशासन)। हम इस रूपरेखा की ओर जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।'
प्रधानमंत्री ने भारत को विनिर्माण गतिविधियों का बड़ा केंद्र बनाने के लिए अपने विजन का खुलासा करते हुये कहा, 'मेक इन इंडिया अभियान की पहचान एक शून्य ख़्ाराबी और पर्यावरण को शून्य नुकसान के तौर पर होगी।' उन्होंने कहा, 'हमें यह देखना होगा कि वैश्विक स्तर पर ब्रांड इंडिया को किस तरह विकसित करना है... जब तक कि वैश्विक बाजार में हम अपने लिए एक पहचान कायम करने में सफल नहीं होते हैं।'
देश में संतुलित विकास पर जोर देते हुए मोदी ने कहा कि मानव संसाधन, सामान, मशीन और खनिज का देशभर में अधिक से अधिक आवागमन होना चाहिए।
मोदी ने कहा, 'दिनभर चले प्रयास में जवाबदेही तय कर दी गई, कार्ययोजना तैयार कर ली गई, नीतियों में जररी बदलावों को तय कर लिया गया... और अब मैं समझता हूं कि किसी कागजी कार्य की आवश्यकता नहीं है। चीजों का क्रियान्वयन स्वत: ही होने लगेगा।'