आधार युक्त ई-केवाईसी के जरिये मौजूदा मोबाइल ग्राहकों का फिर से सत्यापन पर 2,500 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है. मोबाइल परिचालकों के संगठन सीओएआई ने रविवार को यह बात कही. संगठन ने प्रक्रिया में कुछ छूट की मांग की है.
सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महानिदेशक राजन मैथ्यूज ने कहा, 'फिर से सत्यापन प्रक्रिया में काफी खर्चा आएगा और इसे दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को वहन करना होगा. इस मामले में करीब 100 करोड़ ग्राहकों का सत्यापन करने की आवश्यकता होगी जो काफी बड़ी संख्या है और इसमें काफी संसाधन और प्रयास लगेंगे.' दूरसंचार विभाग को लिखे पत्र में सीओएआई ने कहा है कि इस पूरी प्रक्रिया में करीब 2,500 करोड़ रुपये की लागत आएगी.
मौजूदा ग्राहकों का आधार युक्त ई-केवाईसी के जरिये फिर से सत्यापन के मुद्दे पर दूरसंचार विभाग की बैठक के जवाब में यह पत्र लिखा गया है. पिछले महीने दूरसंचार नियामक ट्राई ने मौजूदा मोबाइल ग्राहकों का आधार युक्त ई-केवाईसी के जरिये सत्यापन का सुझाव दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र से उन कदमों के बारे में जानकारी देने को कहा है, जो मौजूदा तथा भविष्य के मोबाइल ग्राहकों के सत्यापन में किया जा सकता है.
सीओएआई का मानना है कि आधार युक्त ई-केवाईसी के जरिये फिर से सत्यापन से चीजें मजबूत होंगी, क्योंकि सत्यापन सरकारी आंकड़ों के जरिये होगा. संगठन ने अधिक प्रभावी तरीके से इस काम को अंजाम देने के लिए कुछ सुझाव भी दिया है. इसमें दूरसंचार परिचालकों को देश भर में साझा आधार पर ई-केवाईसी सुविधा का दायरा बढ़ाने के लिए पर्याप्त समय देना शामिल है. सीओएआई ने सुझाव दिया है कि कॉरपोरेट थोक कनेक्शन, पोस्ट पेड खाते के साथ आईपैड, पीओएस मशीनों तथा डाटा कार्ड जैसे 'नॉन-वॉयस' उपकरणों में उपयोग होने वाले सिम के मामले में आधार युक्त सत्यापन से छूट दी जाए.
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