रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने मंगलवार को कहा कि बैंक ग्राहकों को 500 और 1,000 रुपये के अमान्य नोटों के साथ साथ वर्ष 2005 से पहले छपी मुद्रा को जमा करने से इनकार नहीं कर सकते.
केंद्रीय बैंक ने स्पष्टीकरण में कहा कि विशिष्ट बैंक नोट (एसबीएन) में 2005 से पहले छापे गये 500 और 1,000 रुपये के नोट भी शामिल हैं. रिजर्व बैंक ने कहा, ‘‘बैंकों को योजना के तहत वर्ष 2005 से पहले छपे 500 और 1,000 रुपये के नोट केवल जमा के रूप में स्वीकार करने चाहिए और उन्हें इसे दोबारा जारी नहीं करना चाहिए. इन नोटों को केवल रिजर्व बैंक के कार्यालयों में ही बदला जा सकता है.’’ केंद्रीय बैंक ने कहा कि उसे देश भर से लोगों से शिकायतें मिल रही हैं कि बैंक 2005 से पहले के नोट स्वीकार नहीं कर रहे.
सरकार ने कालाधन पर अंकुश लगाने तथा अघोषित आय को बैंकों में लाने के इरादे से नौ नवंबर 2016 से 500 और 1,000 रुपये के नोटों पर पाबंदी लगाई है. आम जनता 2005 से पहले के नोटों को रिजर्व बैंक के अहमदाबाद, बेंगलुरू, बेलापुर, भोपाल, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, जम्मू, कानपुर, कोलकाता, लखनउ, मुंबई, नागपुर, नयी दिल्ली, पटना, तिरूवनंतपुरम और कोच्चि स्थित कार्यालयों में बदल सकते हैं.
रिजर्व बैंक ने स्पष्ट किया, ‘‘लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि बैंक 2005 से पहले के नोटों को जनता से उनके खातों में जमा करने के लिये स्वीकार ही नहीं करेंगे.’’ केंद्रीय बैंक जनवरी 2014 से 2005 से पहले छापे गये नोटों को वापस ले रहा है और इन नोटों का बड़ा हिस्सा पहले ही वापस लिया जा चुका है. केन्द्रीय बैंक ने कहा, हालांकि, 2005 से पहले के नोट को वापस ले लिया गया है, पर वे अभी भी कानूनी रूप से वैध मुद्रा बनी हुई है.