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रेल बजट 2013 : बिना किराया बढ़ाए सुरक्षा का भरोसा

रेलमंत्री पवन कुमार बंसल ने मंगलवार को लोकसभा में वित्तवर्ष 2013-14 के लिए रेल बजट पेश किया। इसमें जहां एक ओर किराये में वृद्धि नहीं कर आम लोगों को राहत दी गई वहीं यात्रियों और खासकर महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदमों की घोषणा की गई।
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NDTV Profit हिंदी01:22 AM IST, 27 Feb 2013NDTV Profit हिंदी
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रेलमंत्री पवन कुमार बंसल ने मंगलवार को लोकसभा में वित्तवर्ष 2013-14 के लिए रेल बजट पेश किया। इसमें जहां एक ओर किराये में वृद्धि नहीं कर आम लोगों को राहत दी गई वहीं यात्रियों और खासकर महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदमों की घोषणा की गई।

आईआरसीटीसी से आरक्षण करवाने वालों के लिए अच्छी खबर यह है कि इस वेबसाइट पर बढ़ते बोझ और इसकी धीमी रफ्तार के कारण लोगों को होने वाली परेशानी को देखते हुए नई ई-टिकटिंग प्रणाली शुरू करने का प्रस्ताव किया गया है।

रेल बजट में करीब 106 नई रेलगाड़ियां चलाने का प्रस्ताव किया गया है। चुनिंदा रेलगाड़ियों में अधिक सुविधा संपन्न कोच लगाने और प्रमुख स्टेशनों पर स्वचालित सीढ़ियां लगाने का भी प्रस्ताव है।

रेल मंत्री बंसल ने 63,363 करोड़ रुपये (633.63 अरब रुपये या 11.5 अरब डॉलर) का रेल बजट पेश किया। यह उनका पहला बजट है। पिछले 17 साल में रेल बजट पेश करने वाले वह कांग्रेस के पहले मंत्री हैं। वर्ष 2014 में प्रस्तावित आम चुनाव को देखते हुए बजट को 'लोकलुभावन' बनाने का प्रयास किया गया है।

बजट में जो अन्य प्रमुख बातें हैं, उनमें प्रमुख स्टेशनों पर सात अतिरिक्त एग्जक्यूटिव लांज, मानवरहित रेलवे फाटकों को यंत्रचालित करने, यात्रियों खासकर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रेलवे सुरक्षा बल में वृद्धि, रेलगाड़ियों की टक्कर रोकने के लिए नई टकराव रोधी प्रणाली लागू करने, चुनिंदा रेल गाड़ियों में वाई-फाई की सुविधा प्रदान करने और रेलगाड़ियों में गुणवत्ता नियंत्रण के साथ आधुनिक रसोइघरों की व्यवस्था भी शामिल है।

बंसल ने बजट पेश करते हुए लोकसभा में कहा, "भारतीय रेलवे देश के विकास से घनिष्ठ रूप से संबद्ध है।" उन्होंने कहा कि रेलवे के लिए वित्तीय स्थायित्व आवश्यक है, लेकिन इस बार किराया वृद्धि नहीं होगी, क्योंकि पिछले माह किराये का पुनर्निर्धारण किया जा चुका है। उन्होंने हालांकि तत्काल तथा आरक्षण के लिए कुछ शुल्क बढ़ाने का प्रस्ताव किया। शयनयान श्रेणी में तत्काल टिकट के लिए शुल्क 75 रुपये से बढ़ाकर 90 रुपये और एग्जक्यूटिव श्रेणी में 200 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये करने का प्रस्ताव किया गया है।

इसके अतिरिक्त क्लर्क शुल्क भी पांच से 10 रुपये के बीच बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है। साथ ही टिकट रद्द कराने का शुल्क 10 से 50 रुपये तक बढ़ाया गया है। माल भाड़े में 5.8 प्रतिशत वृद्धि का प्रस्ताव किया है।

रेलमंत्री ने इस बात पर खुशी जताई कि रेलवे का संचालन अनुपात 95 पैसे से घटकर 88 पैसे पर आ गया है। इसका मतलब यह हुआ कि एक रुपये कमाने के लिए भारतीय रेल को अब 88 पैसे खर्च करने पड़ते हैं।

रेलमंत्री ने कहा कि रेलवे देश के विकास का सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्रोत है। यह एक महत्वपूर्ण संगठन है, जो देश को उत्तर में जम्मू एवं कश्मीर के बारामूला से दक्षिण में कन्याकुमारी और पश्चिम में द्वारका से पूरब में लेडो को जोड़ता है।

देश का रेलवे नेटवर्क 64,000 किलोमीटर तक फैला है, जिसमें 7,083 स्टेशन हैं। करीब 12,000 यात्री रेलगाड़ियां प्रतिदिन 2.3 करोड़ यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाती हैं, जबकि 7,000 मालगाड़ियां 26.5 लाख टन वस्तुओं की ढुलाई करती हैं। इसमें करीब 14 लाख लोग कार्यरत हैं।

बंसल ने यह भी कहा कि वह आईआरसीटीसी की वेबसाइट से आरक्षण कराने वालों की मुश्किलों से वाकिफ हैं और इसलिए नई ई-टिकटिंग प्रणाली शुरू की जाएगी, जिससे ऑनलाइन टिकट बुकिंग की गति तेज होगी। उन्होंने कहा कि नई प्रणाली में एक मिनट के भीतर 7,200 टिकट बुक करने की क्षमता होगी, जबकि मौजूदा क्षमता एक मिनट में 2,000 टिकट बुक करने की है।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जहां बजट को सुधारात्मक और प्रगतिशील बताया है, वहीं विपक्ष ने इसकी आलोचना की है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि इस रेल बजट से संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की अक्षमता और दृष्टि का अभाव परिलक्षित होता है।

रेल बजट को देश के कारोबारियों ने मौजूदा आर्थिक स्थिति में नरम और संतुलित बताया। भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, "वित्तीय व्यवहार्यता और अनुशासन पर जोड़ दिया जाना स्वागत योग्य कदम है। वित्तीय अनुशासन, सुरक्षा और यात्री सुविधा इस परिवहन साधन के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है, जिसका आम लोग इस्तेमाल करते हैं। मंत्री ने इन पर समुचित ध्यान दिया है।"

एसोसिएटेड चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसोचैम) ने रेल बजट को नरम बताया और कहा कि सरकार प्रभावी कॉरपोरेटीकरण के अवसर का लाभ उठाने से चूक गई। एसोचैम के अध्यक्ष राजकुमार धूत ने कहा, "रेलवे की क्षमता की सीमा से सबसे पहले निपटा जाना चाहिए.. रेल बजट में इस ओर ध्यान दिया जा सकता था।"

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