केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने भरोसा जताया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था जल्द ही दोबार वृद्धि के पथ पर लौट आएगी और 5.0 प्रतिशत की दर से विकास करेगी तथा विपरीत अनुमानों के बावजूद वित्त वर्ष 2013-14 में विकास दर 5.5 प्रतिशत रह सकती है।
चिदंबरम ने यहां गुरुवार को आयोजित एक कार्यक्रम में स्वीकार किया कि वित्त वर्ष 2004-05 और 2010-11 के बीच औसतन 8.5 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से वृद्धि करने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था ने, 2011 में वैश्विक मंदी के बीच गिरावट दर्ज कराई है।
चितंबरम, वाशिंगटन स्थित थिंकटैंक, कारनेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस में 'रिकैप्चरिंग इंडियाज ग्रोथ मोमेंटम' विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि लेकिन "इस अवधि में भारत का अनुभव कोई अनोखा नहीं है।" उन्होंने कहा, "एक तरह से दुनिया की सभी प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं में विकास दर में तीव्र गिरावट दर्ज की गई है।" उन्होंने कहा कि जिस तरह से वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनवरत सुधार की अपेक्षाएं हैं, उसी तरह भारतीय अर्थव्यवस्था में भी सुधार के शुरुआती संकेत दिखे हैं।
चिदंबरम ने कहा कि भारतीय निर्यात में जुलाई और सितंबर के बीच वृद्धि देखी गई है, विनिर्माण में नकारात्मक वृद्धि की दिशा बदली है, और माल ढ़ुलाई में पर्याप्त वृद्धि हुई है, आर्थिक गतिविधि के संकेत बढ़े हैं।
चिदंबरम ने कहा कि मंदी से गंभीर रूप से प्रभावित यूरो क्षेत्र के देशों की आर्थिक हालात में सुधार दिख रहा है। उनके चालू खाते तथा वित्तीय घाटे में सुधार हो रहा है। अमेरिका की आर्थिक और वित्तीय स्थिति भी सुधर रही है।
वित्त मंत्री ने कहा कि चालू खाता और वित्तीय खाते के मामले में भारत विश्व के साथ चल रहा है। चालू खाते का सकल प्रवाह सकल घरेलू उत्पाद का 63.3 प्रतिशत है और वित्तीय खाते का सकल प्रवाह सकल घरेलू उत्पाद का 55.3 प्रतिशत है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व की काफी खुली अर्थव्यवस्थाओं में एक है।
चिदंबरम ने आगे कहा, "मौजूदा वर्ष में बहुत अच्छी बारिश और बुवाई के क्षेत्रफल में पर्याप्त वृद्धि के कारण कृषि उत्पादन में जोरदार वृद्धि की अपेक्षा है। हमने पिछले एक वर्ष के दौरान सुधार के कई कदम भी उठाए हैं।"
वित्त मंत्री ने कहा कि वित्तीय संहिता तैयार की गई है, नया कंपनी कानून बनाया है और पेंशन प्रणाली के संबंध में भी नया कानून बनाया है।
चिदंबरम ने कहा, "हमें उम्मीद है कि ये कदम मौजूदा वित्त वर्ष के उत्तरार्ध से अपना असर दिखाने लगेंगे और हम मानते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 5.0 प्रतिशत हो जाएगी और संभवत: 2013-14 में विकास दर 5.5 प्रतिशत के करीब होगी।" चिदंबरम ने कहा कि 5 प्रतिशत की वृद्धि दर अच्छी कही जा सकती है।
चिदंबरम ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के उस वैश्विक आर्थिक परिदृश्य का जिक्र किया, जिसमें भारत के विकास दर अनुमान को वित्त वर्ष 2013 के लिए 3.1 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2014 के लिए 5.1 प्रतिशत बताया गया है। चिदंबरम ने कहा कि ये अनुमान हमारे आशावाद से इत्तेफाक नहीं रखते और मैं इस निराशावाद से इत्तेफाक नहीं रखता।
चिदंबरम ने भारतीय अर्थव्यवस्था के साथ-साथ भारतीय लोकतंत्र की चर्चा की और कहा कि भारतीय लोकतंत्र अच्छी तरह काम कर रहा है। उदार लोकतंत्र कानून के शासन का आधार है। उन्होंने कहा कि हम अपनी आजादी के बाद से उदार और खुले लोकतंत्र के रूप में हमेशा बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।