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पीएम मोदी का बिल्डिंग बूम, भारत के लिए क्या मायने

चीन का निर्माण सेक्टर पहले ही खराब प्रदर्शन कर रहा है और अमेरिका तथा यूरोप लगभग मंदी के मुहाने पर पहुंच चुके हैं, ऐसे में भारत ही केवल एक मात्र ऐसा देश है जो वैश्विक स्तर पर स्टील की मांग की खपत के लिए तैयार है और इस सेक्टर के लिए एक मात्रा आशा की किरण बना है.
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NDTV Profit हिंदी07:08 PM IST, 27 Dec 2022NDTV Profit हिंदी
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चीन का निर्माण सेक्टर पहले ही खराब प्रदर्शन कर रहा है और अमेरिका तथा यूरोप लगभग मंदी के मुहाने पर पहुंच चुके हैं, ऐसे में भारत ही केवल एक मात्र ऐसा देश है जो वैश्विक स्तर पर स्टील की मांग की खपत के लिए तैयार है और इस सेक्टर के लिए एक मात्रा आशा की किरण बना है. भारत अगले साल तक संभवत: चीन को जनसंख्या के मामले में पीछे छोड़ देगा, भारत ऐसे में बिल्डिंग बूम के मध्य में पहुंच गया है. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में रोड, रेल और पोर्ट के नेटवर्क को आधुनिक बनाने में लगे हुए है ताकि चीन की तुलना में भारत को विनिर्माण के क्षेत्र में अव्वल मुकाम दिला सकें. 
वर्ल्ड स्टील ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार भारत में 2023 में स्टील की मांग में 6.7 प्रतिशत का उछाल आने के आसार है. यह बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ज्यादा है.

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार,  पिछले कुछ सालों में भारत में स्टील की खपत लगातार बढ़ी है और भारत ने चीन के बाद स्टील खपत में अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए दूसरा स्थान हासिल किया है. 

जेएसडब्ल्यू स्टील के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर जयंत आचार्या ने कहा कि किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के निर्माण में स्टील और उपभोक्ता वस्तुओं की खपत अहम योगदान देती है. आचार्या का कहना है कि भारत इस दशक में स्टील की खपत में काफी आगे है और 2030 तक यह खपत 200 मिलियन टन से अधिक हो जाएगी.


ऐसे माहौल में अर्सेलरमित्तल निप्पन स्टील इंडिया और इनकी जापानी पार्टनर ने अगले दशक में अपने स्टील उत्पादन को तीन गुणा करने का निर्णय लिया है. यह करीब 30 मिलियन टन के करीब है. साउथ कोरियन स्टील कंपनी पॉस्को होल्डिंग और गौतम अडानी भी देश में इस कारोबार में उतरने पर विचार कर रहे हैं. 

भारत देश में उत्पन्न अधिकतर स्टील की खपत यहीं कर लेता है और जरूरत तथा मांग की अधिकता के चलते आयात तक करना पड़ता है. पिछले साल अप्रैल से अक्टूबर की मांग की तुलना में इस बार 15 प्रतिशत का इजाफा देखा गया है. 
स्थानीय उत्पादकों को बाजार में आयात कर सस्ते स्टील के आने पर चिंता हो रही है. चीन अकेला ही एक चौथाई सप्लाई कर रहा है और इसके बाद रूस से स्टील आयात हो रहा है. 

इंडियन स्टील एसोशिएशन के एके हाजरा का कहना है कि कुछ आयात हो रहा स्टील निम्न स्तर का है. सरकार को मामले को देखना चाहिए. उनका कहना है कि भारत में आयात हो रहा स्टील भारतीय मानकों पर खरा उतरना चाहिए. 

भारत कितना तेजी से चीन से मिले अंतर को पाट पाता है यह पीएम मोदी के निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने की कामयाबी पर निर्भर करता है.  माना जा रहा है कि चीन में वर्तमान कोरोना की स्थिति के चलते वहां पर स्टील की मांग में उछाल तो संभव नहीं है. 

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