
Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था खराब वित्तीय प्रबंधन और राजनीतिक अस्थिरता की वजह से संकट में है.
Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान की संसद ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) यानी आईएमएफ (IMF) लोन की अगली किश्त को अनलॉक करने के लिए सरकार को लक्जरी आयात और सेवाओं के एक समूह पर टैक्स बढ़ाने की मंजूरी दे दी है. इससे पहले ही पाकिस्तान सरकार ने घटते विदेशी मुद्रा भंडार को देखते हुए खाद्य और फार्मास्यूटिकल्स के अलावा अधिकांश आयातों पर रोक लगा दिया है. इसके बाद अब लेकिन टैक्स वृद्धि के साथ राजस्व को बढ़ावा देने की उम्मीद है.
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था खराब वित्तीय प्रबंधन और राजनीतिक अस्थिरता की वजह से संकट में है. वैश्विक ऊर्जा संकट और 2022 में देश के एक तिहाई हिस्से को जलमग्न कर देने वाली विनाशकारी बाढ़ ने पाकिस्तान को कंगाल कर दिया है. जिसकी वदह से महंगाई की मार पड रही है. यहां कारों और घरेलू उपकरणों से लेकर चॉकलेट और ब्यूटी प्रोडक्ट तक सब से काम आसमान छू रहे हैं. अब पाकिस्तान में लोगों को बिजनेस-क्लास हवाई यात्रा, शादी हॉल, मोबाइल फोन और धूप के चश्मे के लिए भी अधिक भुगतान करना होगा. इसकी वजह ये है कि सामान्य बिक्री टैक्स 17 से बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है.
"वित्त मंत्री इशाक डार ने नेशनल असेंबली को बताया कि विधेयक पारित किया गया था," हमें कठिन निर्णय लेने होंगे. "पाकिस्तान आईएमएफ के साथ 6.5 बिलियन डॉलर की लोन किस्त अगले अनलॉक करने के लिए तैयार है लेकिन वैश्विक फाइनेंसर द्वारा निर्धारित कठिन शर्तों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा है. आईएमएफ मांग कर रहा है कि पाकिस्तान अपने लो कॉस्ट बेस को बढ़ावा दे, निर्यात क्षेत्र के लिए छूट समाप्त करे, और कृत्रिम रूप से कम ऊर्जा की कीमतें बढ़ाए.
आईएमएफ की प्रबंध निदेशक (MD) क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने सप्ताहांत में जर्मन राज्य प्रसारक डॉयचे वेले से कहा, "जो लोग सार्वजनिक या निजी क्षेत्रों में अच्छा पैसा कमा रहे हैं, उन्हें अर्थव्यवस्था में योगदान देने की जरूरत है". उन्होंने इस महीने बिल को पेश करते समय संसद को बताया कि आम आदमी पर एडिशनल लग्जरी टैक्स 170 बिलियन रुपये (650 मिलियन डॉलर) होगा "
जबकि एक आईएमएफ की मदद अपने दम पर पाकिस्तान को बचाने के लिए पर्याप्त नहीं होगा. इसके लिए विश्वास को बढ़ावा देना और सऊदी अरब, चीन और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों को भी लोन देने के लिए आगे आना होगा.