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बैंकों ने किया ग्रामीण भारत का रुख़, बदला नगदी का पैटर्न

नोटबंदी के बाद शहरों के मुक़ाबले ग्रामीण भारत में जारी हाहाकार को लेकर केंद्र सरकार सचेत हो गई है. सरकार की तरफ से बैंकिंग क्षेत्र को कहा गया है कि, वे ग्रामीण भारत की जरूरतों का भी ख्याल करें.
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NDTV Profit हिंदी11:52 PM IST, 13 Dec 2016NDTV Profit हिंदी
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नोटबंदी के बाद शहरों के मुक़ाबले ग्रामीण भारत में जारी हाहाकार को लेकर केंद्र सरकार सचेत हो गई है. सरकार की तरफ से बैंकिंग क्षेत्र को कहा गया है कि, वे ग्रामीण भारत की जरूरतों का भी ख्याल करें.

इंडियन बैंकिंग एसोसिएशन अर्थात आईबीए के प्रमुख राजीव ऋषि ने एनडीटीवी इंडिया से बात करते हुए कहा कि, केंद्र सरकार से उन्हें इस बाबत सख़्त निर्देश मिल चुके हैं. चूंकि बुआई का मौसम है और किसान नगदी की किल्लत से जूझ रहा है. ऐसे में केंद्र ने स्पष्ट रूप से बैंकिंग इंडस्ट्री को कहा है कि अब उन्हें किसान के साथ ग्रामीण भारत के उपभोक्ताओं की जरुरत का ध्यान रखना होगा. ऋषि ने बताया कि इस आदेश के बाद बैंकों ने भी अपना अधिकतर संसाधन ग्रामीण भारत की तरफ़ मोड़ दिया है.

अपनी बातचीत में ऋषि मानते हैं कि शुरुआती दिनों में शहरी उपभोक्ताओं की जरुरत की तरफ़ ज्यादा ध्यान दिया गया जिससे ग्रामीण इलाके के बैंकिंग उपभोक्ताओं को काफ़ी परेशानी का सामना करना पड़ा.

ऋषि ने बताया कि नगदी की किल्लत से जूझ रहे आम आदमी पर छापामारी में पकड़े गए करोड़ों रुपये के खुलासे का नकारात्मक असर हो रहा है. ऐसे में आईबीए की कोशिश है कि जरूरतमंद की नगदी किसी और के हाथों में पहुंचाने वालों पर सख़्त कार्रवाई हो.

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