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राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा है उत्तरी ग्रिड का फेल होना

रविवार देर रात ढाई बजे जब पूरे उत्तर भारत की बिजली गुल हुई तो आम आदमी के साथ-साथ सरकार को भी पसीना आ गया था...
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NDTV Profit हिंदी11:30 AM IST, 31 Jul 2012NDTV Profit हिंदी
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रविवार देर रात ढाई बजे जब पूरे उत्तर भारत की बिजली गुल हुई तो आम आदमी के साथ-साथ सरकार को भी पसीना आ गया। सबसे बड़ी चुनौती इमरजेंसी सेवाओं को चालू रखने की तो थी ही, प्रधानमंत्री निवास जैसे महत्वपूर्ण ठिकानों की बत्ती गुल न हो यह भी सुनिश्चित करना था।

हालांकि, प्रधानमंत्री निवास पर पावर बैकअप की कई स्तरीय व्यवस्था है लेकिन यहां की बिजली आपूर्ति एक मिनट के लिए भी बाधित न हो इसके लिए ईस्टर्न ग्रिड की बिजली इस्तेमाल की गई। ईस्टर्न ग्रिड को भूटान की पनबिजली परियोजनाओं से बिजली मिलती है।

दरअसल उत्तरी ग्रिड के फेल होने से न सिर्फ सरकारी कामकाज़, रेल और आम जीवन ठप हुआ बल्कि इसे राष्ट्रीय सुरक्षा पर ख़तरे के तौर पर भी देखा जा रहा है। दरअसल, उत्तर भारत को देश का पॉलिटिकल पावर सेंटर भी माना जाता है जहां देश की राजधानी दिल्ली में संसद, राष्ट्रपति भवन और प्रधानमंत्री निवास जैसी महत्वपूर्ण इमारतें तो हैं ही... पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े कई संवेदनशील ठिकाने भी हैं। इनमें दूरसंचार, सैन्य हवाई अड्डे और रडार केंद्र शामिल हैं।

इन तमाम सुरक्षा प्रणालियों को सुचारु रूप से चलाने के लिए बिजली की बेरोकटोक आपूर्ति ज़रुरी है। जाने-माने एनर्जी एक्सपर्ट नरेन्द्र तनेजा के मुताबिक़ उत्तरी ग्रिड फेल होने से कुछ घंटो के लिए पूरा भारत पाषाण युग में चला गया।

ऐसे में भूटान की बिजली काम आई जिससे कई अहम और संवेदनशील ठिकानों को सप्लाई जारी रखा गया। इनमें एम्स जैसे अस्पताल की इमरजेंसी सेवा भी शामिल हैं। सुबह क़रीब पौने आठ दिल्ली मेट्रो की सेवा भी भूटान की बिजली से ही बहाल की जा सकी। भूटान में भारत ने कई पनबिजली परियोजनाएं बनाईं हैं। टाला परियोजना इनमें सबसे बड़ी है जहां से भारत को क़रीब 1500 मेगावाट बिजली मिलती है।

बिजली के सरप्लस वाले देशों से ज़रूरतमंद देशों तक पहुंचाने के लिए एक एशियाई ग्रिड बनाने की कोशिश चल रही है। इसके बन जाने के बाद भारत मध्य एशियाई देशों के अलावा श्रीलंका, चीन और तिब्बत जैसे देशों से भी बिजली ले सकेगा। लेकिन जानकार बताते हैं कि यह व्यवस्था शांति के हालात के लिए ठीक हो सकती है लेकिन जंग जैसी किसी हालत में भारत को अपनी बिजली पर ही निर्भर रहना होगा। इसके लिए भारत को अपने ग्रिड्स की इंटरकनेक्टिविटी दुरुस्त करने के साथ-साथ बिजली की पैदावार बढ़ाने की भी ज़रूरत है।

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