वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि सरकार और रिजर्व बैंक के बीच दरार जैसी कोई बात नहीं है और उन्होंने दोनों के बीच मतभेद की अफवाहों को खारिज किया। जेटली ने उम्मीद जताई कि बैंक ब्याज दरों में कटौती के मामले में केंद्रीय बैंक की नीतियों का अनुसरण करेंगे।
वित्त वर्ष 2015-16 के बजट प्रस्तावों पर रिजर्व बैंक के निदेशक मंडलों को संबोधित करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में वित्त मंत्री ने कहा कि वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक के बीच नियमित तौर पर बातचीत होती रहती है और सरकार प्राय: केंद्रीय बैंक से सुझाव और परामर्श लेती रहती है।
उन्होंने कहा, हम रिजर्व बैंक के साथ बजट से पहले और उसके बाद चर्चा करते हैं...हमारे बीच मुक्त और खुली चर्चा होती है और इसीलिए किसी प्रकार की कोई दूरी जैसी कोई बात नहीं है। मैंने बार-बार इसे स्पष्ट किया है।
उल्लेखनीय है कि जेटली ने अपने बजट भाषण में सरकारी बांड बाजार के विनियमन का अधिकार रिजर्व बैंक से लेकर पूंजी बाजार नियामक सेबी को देने का प्रस्ताव किया है। उन्होंने कहा, जहां तक वित्त विधेयक में प्रस्ताव का संबंध है, वह अभी संसद के समक्ष है। उनमें से कुछ के बारे में पहले चर्चा हुई है, हमने अभी भी इस पर चर्चा की है...मैं इस समय इस पर कुछ नहीं कहना चाहता।
यह पूछे जाने पर कि रिजर्व बैंक द्वारा पिछले तीन महीने में रेपो दर में दो बार कटौती के बावजूद बैंकों द्वारा इसका लाभ ग्राहकों को नहीं दिया गया और क्या सरकार इसके लिए बैंकों पर दबाव डालेगी, जेटली ने कहा, सरकार किसी पर दबाव नहीं देती, लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि बैंक रिजर्व बैंक की नीतियों के अनुरूप इस दिशा में कदम उठाएंगे। गौरतलब है कि पिछले तीन महीने में रिजर्व बैंक रेपो देर में दो बार कुल 0.5 प्रतिशत की कटौती कर चुका है।