देश के शेयर बाजार में पिछले सप्ताह उतार-चढ़ाव का माहौल बना रहा है. लेकिन देश-दुनिया की सभी रेटिंग कंपनियों को इस साल मंदी की आशंकाओं के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था पर भरोसा बना हुआ है. वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में ढलान का दौर भले ही बना रहा हो लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था तेज उछाल भले न मिला हो लेकिन गिरावट भी नहीं देखने को मिली. भारत की अर्थव्यवस्था ने वैश्विक पटल पर लोगों का और निवेशकों का विश्वास बरकरार रखा है.
हमने देखा है कि इस साल की शुरुआत इक्विटी मार्केट के लिए साइडवेज तरीके से हुई, क्योंकि यह पिछले कुछ दिनों से लगभग 18000 के स्तर पर मंडरा रहा है. वर्ष 2022 में इसमें 4.33% की वृद्धि हुई. IIFL सिक्युरिटी के अनुज गुप्ता का कहना है कि जहां पिछले साल अर्थव्यवस्था अनिश्चितता में थी, वहीं साल 2023 की स्थिति से हम अनिश्चितता पर सकारात्मक वाइब्स देख रहे हैं.
उन्होंने कहा कि भारत की मुद्रास्फीति 5.72% के नियंत्रण स्तर पर है, पिछले साल अप्रैल 2022 में यह 7.79% पर पहुंच गई थी. हमने मुद्रास्फीति में तेज सुधार देखा है. बता दें कि पिछले एक साल में महंगाई दर को काबू करने के प्रयासों में आरबीआई और सरकार को काफी हद तक सफलता मिली है. थोक से लेकर खुदरा महंगाई दर में दिसंबर में सबसे कम आंकड़े सामने आए हैं.
वहीं, कच्चे तेल की कीमतें भी नियंत्रण में हैं क्योंकि यह 78 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रही है. साल 2022 में इसने 130.50 डॉलर प्रति बैरल की ऊंचाई को छुआ था. तो कच्चे तेल के सामने जो कि मुद्रास्फीति का मुख्य तत्व है, अब नियंत्रण में है. और दुनिया में कहीं भी इसकी कमी दिखाई नहीं दे रही है. मांग और जरूरत दोनों में सामंजस्य बना हुआ है.
डॉलर इंडेक्स जिसने पिछले साल वैश्विक बाजार को आगे बढ़ाया. यह पिछले साल 20 साल के उच्च स्तर से ऊपर बढ़ गया और सितंबर 2022 में 114.68 स्तर का परीक्षण किया, लेकिन अभी यह 101.36 के स्तर पर है. यानि इसमें भी करेक्शन हुआ है और यह 11% गिरकर उच्च स्तर से नीचे आया है. इसने संकेत दिया कि फेडरल रिजर्व अब आक्रामक रूप से ब्याज दरों में वृद्धि नहीं करेगा. कम आक्रामक रुख वैश्विक इक्विटी बाजार का समर्थन करता है और डॉलर इंडेक्स कम होने के कारण विदेशी संस्थागत निवेशक भारत को एक संभावित बाजार के रूप में देखना शुरू कर सकते हैं. इसमें एक पेंच यह है कि फिलहाल चीन भारत की तुलना में ज्यादा आकर्षक बाजार उपलब्ध करा रहा है. दूसरी तरफ, भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कृषि फसल उत्पादन एक और बड़ा सकारात्मक कारक है. वित्त वर्ष 2023 में कृषि और संबद्ध गतिविधि में सकल मूल्य 3.5% बढ़ने की उम्मीद है.
अनुज गुप्ता का कहना है कि वित्त वर्ष 2023 की वृद्धि दर 12.50% तेज रहने का अनुमान लगाया गया था, पिछले साल यह 10.30% थी. चालू रबी सीजन में लगभग 66.58 मिलियन हेक्टेयर में फसलें बोई गई थीं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 1.9 मिलियन हेक्टेयर अधिक थी.
म्यूचुअल फंड उद्योग में निवेश का एयूएम 40 लाख करोड़ से अधिक और 14 करोड़ से अधिक फोलियो है. ये संख्या बाजार का समर्थन करेगी क्योंकि लोग एक तरीके से निवेश और एसआईपी करेंगे. अगली सबसे बड़ी घटना भारत के लिए केंद्रीय बजट 2023 है, इस साल सामान्य बजट के अच्छे होने की उम्मीद है क्योंकि अर्थव्यवस्था महामारी से उबर रही है. राजनीतिक स्थिरता और महंगाई पर नियंत्रण का असर बाजारों पर पड़ेगा. खाद्य तेल मिशन, इथेनॉल सम्मिश्रण, जीएसटी संग्रह में वृद्धि, रुपये में वृद्धि, अन्य कारक हैं जो वित्त वर्ष 2023 में भारतीय अर्थव्यवस्था को सहायता प्रदान कर सकते हैं.