नए वेतन कोड के मुताबिक एक कंपनी को किसी कर्मचारी के इस्तीफे, बर्खास्तगी या रोजगार और सेवाओं से हटाने के बाद उसके अंतिम कार्य दिवस के दो दिनों के भीतर मजदूरी और देय राशि का पूर्ण और अंतिम भुगतान करना होगा. मौजूदा समय में व्यवसायों द्वारा अपनाई जाने वाली सामान्य प्रथा के मुताबिक कर्मचारी के अंतिम कार्य दिवस से 45 दिनों से लेकर 60 दिनों के अंदर वेतन और देय राशि का पूरा भुगतान किया जाता है. कुछ मामलों में यह 90 दिनों तक चला जाता है.
भारत के नए सुधार के तहत चार श्रम संहिताएं हैं: वेतन, सामाजिक सुरक्षा, श्रम संबंध, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति. इसे पहले ही संसद ने पारित कर दिया है.
श्रम कानून के तहत नया वेतन कोड कहता है, "जहां एक कर्मचारी को - (i) सेवा से हटा दिया गया है या बर्खास्त कर दिया गया है; या (ii) छंटनी की गई है या सेवा से इस्तीफा दे दिया है, या प्रतिष्ठान बंद होने के कारण बेरोजगार हो गया है, वहां देय मजदूरी उसे हटाने, बर्खास्तगी, छंटनी या, जैसा भी मामला हो, उसके इस्तीफे के दो कार्य दिवसों के भीतर भुगतान किया जाएगा."
पिछले 29 केंद्रीय श्रम कानूनों की समीक्षा और संयोजन करके चार नए श्रम कोड बनाए गए थे.
एक तरफ केन्द्र सरकार 1 जुलाई तक इन नए कानूनों को लागू करना चाहती है तो दूसरी तरफ कई राज्यों ने अभी तक इन नियमों की पुष्टि नहीं की है. संविधान के मुताबिक इन कानूनों के प्रभावी होने से पहले राज्य की सहमति जरूरी है क्योंकि श्रम समवर्ती सूची (Concurrent List) में है.
फिलहाल, कुछ राज्यों ने अभी तक सभी चार श्रम कानूनों के लिए आवश्यक कानून स्थापित नहीं किए हैं.
श्रम और रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली की लोकसभा में लिखित जवाब के अनुसार, केवल 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) ने वेतन पर संहिता के तहत ड्राफ्ट गाइडलाइन जारी किए हैं. यदि वेज कोड लागू किया जाता है, तो व्यवसायों को अपनी Payroll प्रक्रियाओं को फिर से व्यवस्थित करने की आवश्यकता होगी.