टाटा के बोर्डरूम में तख्तापलट हुआ और फिर कंपनी ने अपने चेयरमैन को बाहर का रास्ता दिखा दिया लेकिन इस कड़वाहट ने कंपनी की आर्थिक योग्यता को तो कटघरे में खड़ा कर ही दिया है, साथ ही यह सवाल भी उठा दिया है कि अगले उत्तराधिकारी को किस तरह ढूंढा जाए. सोमवार को सायरस मिस्त्री को निकाला गया और अब उनकी जगह रतन टाटा ने ले ली है. रतन टाटा अगले चार महीने तक चेयरमैन रहेंगे और इसी बीच इस कुर्सी के लिए एक स्थायी नाम की तलाश की जाएगी.
गौरतलब है कि मिस्त्री के कार्यकाल के दौरान रतन टाटा उन दो टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन रहे जिनकी समूह में सबसे ज्यादा साझेदारी है. यही वजह है कि समूह पर एक से ज्यादा हाथों में सत्ता के होने का आरोप भी लगाया गया. विक्रम मेहता, शेल कंपनी के पूर्व सीईओ और वर्तमान में ब्रूकिंग्स इंडिया के चेयरमैन कहते हैं 'मुझे अभी तक समझ नहीं आ रहा है कि दो अलग अलग चेयरमैन के बीच वैचारिक मतभेद होने के दौरान टाटा ट्रस्ट और टाटा सन्स के बीच का रिश्ता कैसा रहता होगा.' मेहता ने कहा कि भविष्य में जो कोई भी इस कुर्सी पर बैठेगा उसे यकीनन इस मामले में थोड़ी स्पष्टता लेनी होगी.
एक ईमेल में टाटा समूह पर कॉरपोरेट कुशासन, हस्तक्षेप और बढ़ते नुकसान के प्रति उदासीनता का आरोप लगाते हुए मिस्त्री ने कहा कि जिस प्रक्रिया के तहत उन्हें बाहर किया गया वह पूरी तरह 'गैरकानूनी और अमान्य' है. उनकी दफ्तर से मिले जवाब में कहा गया है कि 'फिलहाल' मिस्त्री का इरादा कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने का नहीं है.
उन्होंने समूह के उन आर्थिक संकटों पर भी ध्यान दिलाया जिसका असर काफी दूर तक जा सकता है, खासतौर पर पांच सालों में जिसे उन्होंने विरासत के लिहाज़ से 'संवेदनशील' बताया है और दावा किया है कि यह दिक्कतें पूरे समूह के मूल्य पर 1800 करोड़ डॉलर तक असर डाल सकती है.
उधर टाटा संस ने कहा है कि साइरस मिस्त्री ने अपने लंबे ईमेल में जिन समस्याओं की तरफ इशारा किया है, उनसे संबंधित निर्णयों में पिछले एक दशक से विभिन्न भूमिकाओं में वह खुद भी शामिल रहे हैं. इसके साथ ही ईमेल में जोड़ा कि साइरस को कंपनी की इमेज को धक्का पहुंचाने का प्रयास 'अक्षम्य' है. हटाए जाने के एक दिन बाद मिस्त्री ने जो ईमेल भेजा उसने स्टॉक एक्सजेंच में लिस्टेड टाटा कंपनियों का भी ध्यान इस ओर खींचा है, साथ ही मार्केट रेग्यूलेटर सेबी ने भी इस बात का संज्ञान लिया है.
समालोचक गुरचरण दास ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा 'मैं रतन टाटा और भारत के सरकारी और कॉरपोरेट जगत से कहूंगा कि एक नेतृत्व करने वाले का काम अपने उत्तराधिकारी को तैयार करना है. महान कंपनियों में जब आपका लीडर जाता है तो 3-5 लोग ऐसे होते हैं जो उस जगह के लिए एकदम उपयुक्त होते हैं. जरूरी है कि हम सब ऐसी प्रतिभा को तैयार करने में जुट जाएं.'
पिछली बार भी, हालांकि बिना किसी विवाद के बावजूद भी रतन टाटा के उत्तराधिकारी को चुनना एक चुनौती बन गया था. आखिरकार तलाश करने वाली समिति में से ही मिस्त्री को चुना गया जिन्होंने तगड़े उम्मीदवार बनने के बाद खुद को इस समिति से हटा लिया. हंट पार्टनर्स के मैनेजिंग पार्टनर सुरेश रैना का कहना है कि जो भी उम्मीदवार इस रेस में शामिल है उसे तैयार हो जाना चाहिए और सारयल मिस्त्री की चिट्ठी को गौर से पढ़ लेना चाहिए.