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अब महंगा हो सकता है मोबाइल से बात करना

आने वाले दिनों में मोबाइल फोन ग्राहकों को दी जा रही विभिन्न छूट और रियायतों में कटौती की जाएगी। दूरसंचार कंपनियों ने हाल ही में नीलामी में ऊंची बोली लगाकर स्पेक्ट्रम खरीदा है, जिसे शुल्क दरों में संभावित वृद्धि का एक कारण बताया जा रहा है।
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NDTV Profit हिंदी10:49 AM IST, 17 Feb 2014NDTV Profit हिंदी
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कई मोबाइल कंपनियों ने साफ कर दिया है कि मोबाइल फोन शुल्क बढ़ने वाले हैं। आने वाले दिनों में ग्राहकों को दी जा रही विभिन्न छूट और रियायतों में कटौती की जाएगी। दूरसंचार कंपनियों ने हाल ही में नीलामी में ऊंची बोली लगाकर स्पेक्ट्रम खरीदा है, जिसे शुल्क दरों में संभावित वृद्धि का एक कारण बताया जा रहा है।

वोडाफोन के सीईओ मार्टिन पीटर्स ने कहा कि दूसंचार उद्योग के लिए समय आ गया है कि जब उसे अपने आपको कारोबार में बनाए रखने के लिए हर साल शुल्क बढ़ाने की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि कई अन्य कारकों के साथ हाल ही की स्पेक्ट्रम नीलामी से अगले कुछ सालों में मोबाइल दूरसंचार उद्योग की स्थिति खराब होने की आशंका है।

उन्होंने कहा कि यह उद्योग 2010 की नीलामी में हुई 'ज्यादती' से ही नहीं उबर पाया है। वोडाफोन इंडिया के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी पीटर्स ने कहा, 18 साल तक हमने शुल्क घटाया, ऐसा हमेशा नहीं रह सकता। हमारा मानना है कि अब समय आ गया है कि जब लागत के आधार पर हर साल शुल्क बढ़ाया जाना चाहिए।

हाल में हुई स्पेक्ट्रम नीलामी में सरकार को 61,162 करोड़ रुपये मिलेंगे, जो सरकार के लक्ष्य से अधिक है। नीलामी में आठ दूरसंचार कंपनियों ने भाग लिया और बोली लगाने वाली प्रमुख कंपनियों में वोडाफोन, भारती एयरटेल, रिलायंस जियो और आइडिया सेल्यूलर रहे।

पीटर्स ने कहा, उद्योग अभी 2010 की नीलामी में की गई 'अति' से नहीं उबरा है और इस नीलामी को अन्य के साथ मिला दिया जाए, तो आशंका है कि अगले कुछ साल में उद्योग की स्थिति खराब रहेगी। दूरसंचार कंपनियां ग्राहकों को टॉकटाइम आदि के रूप में दी जा रही छूटों में कटौती कर रही हैं।

भारती एयरटेल इंडिया के संयुक्त प्रबंध निदेशक गोपाल विट्टल ने दिसंबर तिमाही के परिणाम के बाद कहा था कि छूटशुदा मिनटों में कमी तथा कॉल (वॉयस) दर में चरणबद्ध बढ़ोतरी की गुंजाइश है।

सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महानिदेशक राजन एस मैथ्यू ने कहा था कि शुल्क दरों में वृद्धि के बारे में अभी टिप्पणी करना जल्दबाजी होगा, लेकिन डेटा शुल्क दर बढ़ाने तथा छूटों में कटौती करने का दबाव होगा।

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