ऑनलाइन ट्रैवल कंपनी मेकमाईट्रिप कथित रूप से 75 करोड़ रुपये का सेवा कर चोरी के लिए जांच के घेरे में है। आरोप है कि उसने ग्राहकों से लिया सेवा कर सरकारी खाते में जमा नहीं कराया।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय खुफिया उत्पाद महानिदेशालय (डीजीसीईआई) ने उपभोक्ताओं से जुटाए गए सेवा कर को जमा नहीं कराने के लिए कंपनी के आरोप में मामला दायर किया है।
सूत्रों ने बताया कि जांच के बाद कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी को डीजीसीईआई के अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था, जिसे पिछले सप्ताह जमानत पर रिहा किया गया। इस बारे में संपर्क किए जाने पर कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि सेवा कर उद्योग का मामला है और वह उपयुक्त अधिकारियों के समक्ष इसे चुनौती देगी।
प्रवक्ता ने कहा, 'मेकमाईट्रिप में हम लोग ईमानदार, पारदर्शी तथा अनुपालन वाली कॉर्पोरेट संस्कृति में विश्वास रखते हैं और देश के सभी कायदे कानूनों का पालन करते हैं। सेवा कर मुख्य रूप से उद्योग का मुद्दा है जो ऑनलाइन ट्रैवल एजेंट्स (ओटीए) को प्रभावित कर सकता है। सेवा कर 14.5 प्रतिशत की दर से लगता है। इसमें आधा प्रतिशत का 'स्वच्छ भारत उपकर' भी शामिल है।
सूत्रों ने बताया कि मेकमाईट्रिप ने अक्टूबर, 2010 से सितंबर, 2015 के दौरान उपभोक्ताओं से करीब 83 करोड़ रुपये का सेवा कर काटा पर इसमें से 67 करोड़ उसने सरकार के खाते में जमा नहीं किए हैं।
डीजीसीईआई की जांच में यह तथ्य सामने आया है कि कंपनी दो प्रकार के कर जुटाती है। इनमें पहले मेकमाईट्रिप द्वारा होटलों के साथ किराए के लिए जो दर तय की गई है, उसके 60 प्रतिशत पर सेवा कर और दूसरा ग्राहक के वाउचर के सकल मूल्य पर उन्हें टूर ऑपरेटर मानते हुए 10 प्रतिशत का सेवा कर।
जांच में यह सामने आया कि कंपनी सिर्फ दूसरे प्रकार के कर को एमएमटी (मेक माई ट्रिप) कर बताती थी और यही कर सरकारी खाते में जमा कराया जाता था। कंपनी होटल के कक्ष के किराए पर वसूल किया गया कर नहीं जमा करा रही थी।