महाराष्ट्र में मंगलवार से 17 लाख सरकारी कर्मचारी 3 दिन की हड़ताल पर हैं. ये कर्मचारी 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग कर रहे हैं. राज्य कर्मचारी संगठन के मुताबिक, इस हड़ताल में तालुका स्तर तक के सभी कर्मचारी शामिल होंगे, जिसमें शैक्षणिक और चिकित्सा संस्थानों और दूसरे विभाग के कर्मचारी भी शामिल हैं. जाहिर है इस हड़ताल की वजह से राज्य में कामकाज पर बुरी तरह असर पड़ने की आशंका है.
इस बीच राज्य सरकार ने पिछले 14 महीने का बकाया महंगाई भत्ता देने की घोषणा के साथ जनवरी 2019 तक केंद्र द्वारा निर्धारित वेतन लागू करने का आश्वाशन दिया है. साथ ही हड़ताल पर जाने वाले कर्मचारियों के खिलाफ आवश्यक सेवा कानून के तहत कार्रवाई की चेतावनी दी है. महाराष्ट्र राज्य सरकारी कर्मचारी मध्यवर्ती संगठन के महासचिव अविनाश दौंद ने दावा किया कि तीसरे एवं चौथी श्रेणी के सरकारी कर्मचारी के हड़ताल में शामिल हो जाने के कारण सरकारी अस्पतालों सहित विभिन्न विभागों में आवश्यक सेवाएं प्रभावित होने की संभावना है. उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकार उनकी काफी समय से लंबित मांगों को लेकर केवल ‘जुबानी जमा खर्च’ करती है.
प्रदर्शन का आह्वान करने वाले संगठन के अध्यक्ष मिलिंद सरदेशमुख ने बताया, ‘जिला परिषदों, शिक्षकों और सरकारी निगमों सहित विभिन्न विभागों के करीब 17 लाख सरकारी कर्मचारी तीन दिवसीय हड़ताल में भाग लेंगे.’ उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने छठा वेतन आयोग लागू होने के बाद से सरकारी कर्मचारियों को अभी तक उनके बकाये का भुगतान नहीं किया है. उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र में तीसरे एवं चौथी श्रेणी के कर्मचारियों के 1.85 लाख पद खाली पड़े हैं. उन्होंने कहा कि इसके अलावा, अनुकंपा के आधार पर 30,000 पदों को भरने की मांग राज्य सरकार ने स्वीकार नहीं की. उन्होंने कहा कि अस्पतालों और अन्य आवश्यक सेवा विभागों में कुल पदों का करीब 30 से 40 प्रतिशत पद खाली है.