मध्यप्रदेश में ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट 2023 में कारोबारियों ने राज्य में लगभग 15 लाख 40 हज़ार करोड़ के निवेश की इच्छा जताई है, सरकार का दावा है कि इससे लगभग 29 लाख रोज़गार के नए अवसर सृजित होंगे. ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में कुल 10 देश साझेदारों के रूप में रहे जिनमें - जापान, कनाडा, नीदरलैंड गयाना, मॉरिशस, बांग्लादेश, जिम्बाब्वे, सूरीनाम पनामा और फीजी जैसे देशों ने अपने स्टॉल भी लगाए. दो दिनों में 84 देशों के 447 अंतर्राष्ट्रीय बिजनेस डेलीगेट्स, 401 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय खरीदार शामिल हुए. जी-20 में शामिल सारे देश आए, मध्यप्रदेश के 5 हजार से अधिक व्यापारी प्रतिनिधियों ने भाग लिया.
राज्य में नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में लगभग रु 6 लाख 9 हजार 478 करोड़ के निवेश का प्रस्ताव आया है, जिससे 11 लाख 84 हजार को रोजगार मिल सकता है, वहीं अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर में 2 लाख 80 हज़ार 753 करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव आया है, जिससे 4 लाख 50 हजार 127 को रोजगार मिल सकता है. फूड प्रोसेसिंग, एग्री प्रोसेसिंग 1 लाख 6 हजार 149 करोड़ के निवेश का प्रस्ताव आया है, जिससे 2 लाख 20 हजार 160 को रोजगार मिल सकता है. आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में रु. 78 हज़ार 778 करोड़ का निवेश का प्रस्ताव आया है जिससे 2,22,371 लोगों को रोजगार मिल सकता है, रसायन एवं पेट्रोलियम के क्षेत्र में रु. 76769 करोड़ के निवेश का प्रस्ताव आया है, जिससे 71,704 लोगों को रोजगार मिल सकता है.
सर्विस सेक्टर में रु. 71,351 करोड़ के निवेश का प्रस्ताव आया है जिससे 1,66,700 लोगों को रोजगार मिल सकता है. ऑटोमोबाइल इंजिनियरिंग, इलेक्ट्रिक व्हिकल के क्षेत्र में रु. 42254 करोड़ के निवेश का प्रस्ताव आया है, जिससे 69,962 लोगों को रोजगार मिल सकता है. फार्मा एंड हेल्थकेयर में लगभग रु. 17,991 करोड़ के निवेश का प्रस्ताव प्राप्त हुआ है, जिससे 1,42,614 लोगों को रोजगार के अवसर मिल सकते हैं. लॉजिस्टिक्स एंड वेयरहाउसिंग में रु. लगभग 17,916 करोड़ के निवेश का प्रस्ताव आया है, जिससे 56 हजार 373 लोगों को रोजगार मिल सकता है.
टेक्सटाइल एंड रेडीमेट गारमेंट क्षेत्र में रु. 16,914 करोड़ के निवेश का प्रस्ताव मिला है, जिससे 1 लाख 13 हजार 502 को रोजगार मिल सकता है. अन्य क्षेत्रों में रु. 1 लाख 25 हजार 855 करोड़ के निवेश का प्रस्ताव प्राप्त हुआ है जिससे 1 लाख 24 हजार 168 से अधिक लोगों को रोजगार मिल सकता है.
इस मौके पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा "जिस प्रेम से दुनिया के 84 देशों के लगभग 3500 से अधिक प्रतिनिधि मिले वह अदभुत है, मुझे लगता है यह भारत के संस्कार है. हमारे प्रधानमंत्री जी ने जी-20 के वसुधैवकुटुम्बकम का मंत्र दे दिया है. हमारे ग्लोबल लीडर मोदी जी कहते हैं, पूरा विश्व ही हमारा परिवार है. हम जिओ और जीने दो के सिंद्धांत पर चल रहे हैं. हमने सिर्फ भारत के कल्याण की कामना नहीं की, पूरे विश्व के कल्याण की भावना भाई."
मध्यप्रदेश अजब, गजब और सजग है
प्रधानमंत्री के रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म के मंत्र को हम अक्षरशः धरातल पर उतारने का काम कर रहे हैं. मध्यप्रदेश अजब इसलिए है, क्योंकि पिछले 18 सालों में हमने शून्य से शिखर की यात्रा की है. मध्यप्रदेश गजब इसलिए है, क्योंकि ये संसाधन संपन्न हैं, ये शांति का टापू है, ये आध्यात्म का केंद्र है, ये पर्यटन में बेजोड़ है, ये इन्फ्रास्ट्रक्चर से लेकर टेक्नोलॉजी तक और इनोवेशन से लेकर इंटरप्रीन्योरशिप तक हर क्षेत्र में समय से आगे चलने की क्षमता रखता है. मध्यप्रदेश सजग इसलिए है क्योंकि हमने अपनी कोर क्षमताओं को ही अपनी शक्ति बनाया है. चाहे एग्रीकल्चर या फूड प्रोसेसिंग, चाहे टेक्सटाइल हो या फार्मा, चाहे लॉजिस्टिक्स हो या आईटी, चाहे ऑटोमोबाईल हो या फिर नवकरणीय ऊर्जा ये सभी क्षेत्र मध्यप्रदेश की असली ताकत है. और हम इन सभी क्षेत्रों में देश में अग्रणी हैं.
प्रधानमंत्रीजी ने कहा कि एक स्थिर सरकार, एक निर्णायक सरकार और सही नीयत से चलने वाली सरकार विकास को अभूतपूर्व गति देती है और निश्चित रूप से यही तो मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी ताकत है, मैं इस टीम के भरोसे आपसे कहता हूं, हम विकास को नई गति देंगे. मैं मध्यप्रदेश के सीईओ होने के नाते विश्वास दिलाता हूं, आपके निवेश का एक पैसा भी फिजूल नहीं जाएगा.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि राज्य में निवेश के लिये 7 सूत्रीय रणनीति होगी. संवाद लगातार, सहयोग हर परिस्थिति में, नीति के अनुसार हर संभव सुविधा, स्वीकृतियां बिना चक्कर लगाए मिलेंगी, सेतु उद्योगों के लिए डेडीकेटेड हेल्पलाईन, सरलता सिंगल विंडो सिस्टम, ऑनलाईन सिस्टम, समन्वय विभिन्न एजेंसियों के बीच.
चिन्हित अधिसूचित औद्योगिक क्षेत्रों में कारोबारियों को 3 वर्ष तक कोई अनुमति नहीं लेनी होगी. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने निवेश के लिये एक बड़ा फैसला लेते हुए कहा कि चिन्हित अधिसूचित औद्योगिक क्षेत्रों में अब उद्योगपतियों को 3 वर्ष तक कोई अनुमति नहीं लेनी होगी. उद्योगों से ये अपेक्षा होगी कि वे नियमों और प्रक्रियाओं का स्वतःस्फूर्त रूप से पालन सुनिश्चित करेंगे.