लागत से कम कीमत पर डीजल बेचने के कारण सरकारी कंपनियों को होने वाला (अंडररिकवरी) घटकर 4.41 रुपये प्रति लिटर रह गया है। हाल में 1.09 रुपये प्रति लिटर की वृद्धि तथा अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में मजबूती से नुकसान कम हुआ है।
पेट्रोलियम मंत्रालय के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन आयॅल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन तथा हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन को डीजल बिक्री पर प्रति लिटर 4.41 रुपये का नुकसान हो रहा है, जो महीने की पहले पखवाड़े में 6.80 रुपये प्रति लिटर था। मार्च के बाद से घाटा कम हो रहा है। उस समय यह 8.37 रुपये प्रति लिटर था।
तेल कंपनियों ने 12 मई को आम चुनाव संपन्न होने के तुरंत बाद डीजल के दाम में 1.09 रुपये प्रति लिटर की वृद्धि की। तेल कंपनियों को पिछले साल जनवरी में मंत्रिमंडल के निर्णय के अनुसार, अप्रैल में डीजल के दाम में 40-50 पैसे वृद्धि करनी थी, लेकिन चुनाव के कारण इसे टाला गया।
इसके अलावा भाजपा की अगुवाई में राजग को पूर्ण बहुमत मिलने से बाजार धारणा में सुधार के कारण विदेशी पूंजी प्रवाह बढ़ने से डॉलर के मुकाबले रुपये में मजबूती आई।
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत होकर मई के पहले पखवाड़े में 59.47 पर रहा। अप्रैल के दूसरे पखवाड़े में रुपया 60.54 के स्तर पर था।
डीजल के अलावा तेल कंपनियों को केरोसीन पर 33.84 रुपये प्रति लिटर का नुकसान हो रहा है, जो पिछले महीने 34.43 रुपये प्रति लिटर था। रसोई गैस पर नुकसान 449.13 रपये प्रति सिलेंडर (14.2 किलो) है, जो पिछले महीने 506.06 रुपये प्रति सिलेंडर था।