रीयल एस्टेट क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिये बनाये गये रीयल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (रेइट्स) को प्रोत्साहन देने को लेकर सरकार को आगामी बजट में इस पर लाभांश वितरण कर समाप्त कर देना चाहिये और मकान खरीदने वालों को परियोजना में देरी की स्थिति में वित्तीय सुरक्षा उपलब्ध करानी चाहिए। जमीन जायदाद के बारे में सलाह देने वाली जेएलएल इंडिया ने अपनी बजट पूर्व मांगों में यह बात कही है।
सरकार ने रीयल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शी तरीके से वित्तपोषण सुविधा उपलब्ध कराने के लिये पिछले साल रेइट्स की शुरुआत की थी। इस ट्रस्ट को शेयर बाजारों में भी सूचीबद्ध कराया जा सकता है। इसके जरिये रीयल एस्टेट क्षेत्र में घरेलू और विदेशी निवेश पहुंचाया जा सकता है।
जेएलएल इंडिया के चेयरमैन एवं भारतीय कारोबार के प्रमुख अनुज पुरी ने कहा, ‘‘पिछले साल रेइट्स की घोषणा के बावजूद आज तक देश में एक भी रेइट्स सूचीबद्ध नहीं हुआ है। इसकी शुरुआती वजह इस पर लाभांश वितरण कर (डीडीटी) का होना है। सरकार ने हालांकि, दूसरी अड़चनों को हटाने की दिशा में काम किया है लेकिन डीडीटी प्रमुख मुद्दा है जो लंबित रह गया।’’
पुरी ने कहा, ‘‘जब तक यह बड़ा बदलाव नहीं किया जाता है तब तक रेइट्स, जो कि अकेले ही भारतीय रीयल एस्टेट क्षेत्र को उबार सकता है, जहां है वहीं अटका रहेगा। रीयल एस्टेट क्षेत्र के पुनुर्त्थान और अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिये आगामी बजट में इस मुद्दे पर गौर किया जाना जरूरी है।’’
जेएलएल ने मकान खरीदने वालों को उनकी आवास परियोजना में देरी होने की स्थिति में वित्तीय सुरक्षा दिये जाने पर भी जोर दिया है। उन्होंने कहा कि मकान खरीदने वालों को मकान का कब्जा मिलने के बाद ब्याज पर मिलने वाली कर छूट तभी से मिलनी चाहिये जब से आवासीय कर्ज पर ब्याज का भुगतान शुरू होता है।