योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि आम आदमी के जीवन स्तर को सुधारने का परिणाम मोटे-तौर पर केवल योजना कार्यक्रमों पर ही निर्भर नहीं करता है, बल्कि यह आर्थिक विकास की गति, क्षेत्रीय गठन, रोजगार जुटाने की गति, जनसंख्या की विभिन्न श्रेणियों और क्षेत्रों के लिए आय अर्जित करने के अवसरों के साथ सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के कार्य निष्पादन पर भी निर्भर करता है।
राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक को सम्बोधित करते हुए अहलूवालिया ने कहा कि ये परिणाम निवेश और निवेश की उत्पादकता पर निर्भर करते हैं। अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक क्षेत्र का कुल निवेश का 25 प्रतिशत है जबकि 75 प्रतिशत निजी निवेश से आता है। केंद्र और राज्य दोनों को निवेश के विभिन्न घटकों को प्रोत्साहित करने और उनकी निपुणता बढ़ाने पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि योजना विकल्पों का विश्लेषण करने में हमारे सामने नीति हस्तक्षेप के विशिष्ट क्षेत्र आते हैं जो मुख्य रूप से केंद्र और राज्यों के हाथ में है। राज्य अनेक क्षेत्रों में नवीन कदम उठा रहे हैं, जिसके कारण पिछले दस वर्षों में अधिक वृद्धि हुई है। हमें श्रेष्ठ पद्धति के ज्ञान का विस्तार करने की जरूरत है।
बारहवीं योजना में यह पहचान की गई है कि विकास परिणाम समग्र विकास करने के लिए आवश्यक कठिन निर्णयों पर निर्भर करेंगे। इस संबंध में योजना में 'मजबूत समग्र-विकास' के लिए आकांक्षापूर्ण परिदृश्य की पहचान की गई है। जिसमें लगभग 8.2 प्रतिशत प्रतिवर्ष का लक्ष्य रखा गया है।
उन्होंने कहा कि दूसरा परिदृश्य वह है जिसमें नीतियां ठीक दिशा में चल रही है लेकिन पूरी तरह से लागू नहीं की गई हैं। इस मामले में वृद्धि 6 से 6.5 प्रतिशत तक सीमित रहेगी। जिसके कारण समग्र विकास कम होगा। तीसरे परि²श्य को (बाधित नीति) कहा गया है, जिसमें पहचान किए गए विभिन्न निर्णयों पर बहुत कम प्रगति हुई है। इस मामले में वृद्धि 5 से 5.5 प्रतिशत तक रहेगी। योजना दस्तावेज में केवल परिदृश्य एक पर ही जोर दिया गया है जो लोगों की आशाओं को पूरा करेगा।
अभी हाल के दो घटनाक्रमों के आलोक में परिदृश्य एक को संशोधित करने की जरूरत है। पहला वित्तमंत्री द्वारा कुछ दिन पहले संसद में प्रस्तुत 2012-13 के विकास अनुमानों को घटाकर 5.7 और 5.9 के मध्य कर दिया गया है।
दूसरे संयुक्त राष्ट्र अमेरिका द्वारा जारी नवीनतम समीक्षा के अनुसार विश्व अर्थव्यवस्था में 2012 और 2013 के दौरान वैश्विक आर्थिक संभावनाओं में पहले से व्यक्त संभावनाओं की तुलना में महत्वपूर्ण गिरावट आएगी। इन बातों को ध्यान में रखते हुए परिदृश्य एक से संबंधित वृद्धि दर घटकर 8 प्रतिशत हो सकती है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री केंद्र प्रायोजित योजनाओं के पुनर्गठन की आवश्कता से संबंधित मुद्दे उठाते रहे हैं। वीके चतुवेर्दी समिति इसकी जांच कर रही है और उसने राज्य सरकारों से विस्तृत विचार-विमर्श किया है। समिति द्वारा की गई सिफारिशों के अनुसार केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं को कम संख्या में समेकित करने तथा इन योजना के परिचालन के दिशा-निर्देशों में लचीलापन लाने का प्रस्ताव किया गया है।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक फ्लैगशिप योजना में विशेष लचीली-निधि खिड़की शुरू करने का प्रस्ताव किया गया है। नई प्रणाली के 1 अप्रैल, 2013 से लागू होने का अनुमान है जिससे मुख्य मंत्रियों की मांग को पूरा किया जा सकेगा।