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क्या इजरायल-हमास युद्ध से बढ़ेगी क्रूड की चिंता? देवांग मेहता से जानें भारतीय बाजार पर क्या होगा असर

Israel Hamas War: इस युद्ध के भारतीय बाजार पर पड़नेवाले असर को लेकर स्पार्क प्राइवेट वेल्थ के डायरेक्टर देवांग मेहता ने कहा कि भारतीय बाजार में लिक्विडिटी मजबूत है. क्योकि डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर (DII) लगातार निवेश कर रहे हैं.
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NDTV Profit हिंदी03:22 PM IST, 10 Oct 2023NDTV Profit हिंदी
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दुनियाभर के बाजारों को एक बार फिर युद्ध का डर सताने लगा है. इजरायल-हमास (Israel-Hamas War) के बीच चल रहे युद्ध से ग्लोबल इकोनॉमी और मार्केट्स भी अछूते नहीं हैं. इसका बड़ा असर क्रूड की कीमतों (crude prices) पर दिख सकता है. स्पार्क प्राइवेट वेल्थ के डायरेक्टर देवांग मेहता से जानें कि क्या ये युद्ध देश के लिए परेशानी बन सकता है और इस समय शेयर मार्केट स्ट्रैटेजी क्या होनी चाहिए.

BQ PRIME के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में देवांग मेहता ने बताया कि आखिर इस युद्ध का ग्लोबल मार्केट पर क्या असर होगा और यह बाजार को किस हद तक प्रभावित करेगा.

बाजार का सेंटीमेंट शॉर्ट टर्म के लिए होगा खराब

उन्होंने कहा कि सामान्य रूप से हम देखते हैं कि इसका असर एक या दो दिन तक दिखता है.हमने रूस-यूक्रेन युदध के समय भी देखा था कि क्रूड ऑयल की कीमत बढ़ गई थी. इस तरह की स्थिति में बाजार का सेंटीमेंट शॉर्ट टर्म के लिए खराब होता है. हालांकि, भारत को लिए यह उतनी बड़ी मुसीबत नही है न ही यह ग्लोबल मार्केट के लिए उतनी बड़ी दिक्कत है.लेकिन इसके बारे में कोई भी भविष्यवाणी गलत हो सकती है.

ऑपर्चुनिटी और डायवर्सिटी का माहौल

इस युद्ध के भारतीय बाजार पर पड़नेवाले असर को लेकर उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार में लिक्विडिटी मजबूत है. क्योकि डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर (DII) लगातार निवेश कर रहे हैं. लेकिन फॉरेन  इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर (FII) का नकारात्मक रुझान जरूर देखा जा सकता है. देवांग मेहता  ने कहा, मेरा मानना है कि इस तरह का माहौल ऑपर्चुनिटी और डायवर्सिटी लेकर आती है.

इस युद्ध का असर सोमवार को भारतीय बाजारों पर देखने को मिला था. वहीं, क्रूड की कीमतों पर आगे क्या असर रहेगा या फिर इंपोर्ट-एक्सपोर्ट कितना प्रभावित होगा इसको लेकर देवांग मेहता ने बताया कि भारतीय बाजारों पर दो चीजें देखनी होगी. पहली ये कि भारत जरूरत का 85% क्रूड इंपोर्ट से पूरा करता है. इसपर हमारे डॉलर ज्यादा खर्च होंगे. जो कंपनीज इनसे डील करते हैं उनपर भी असर पड़ेगा.

युद्ध लंबा चला तो विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली बढ़ेगी

वहीं, अगर ये युद्ध लंबा चलता है तो विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली बढ़ेगी. हाल में RBI ने कहा था कि वह इंफ्लेशन रेट को 4 % के करीब लाना चहता है.ऐसे में क्रूड के चलते इंफ्लेशन भी बढ़ सकता है. हमें इन चीजों के मॉनिटर करने की जरूरत है.
 

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