देश तेजी से दुनिया का बड़ा रिफाइनरी केन्द्र बनने की तरफ बढ़ रहा है. महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में देश के पश्चिमी तट पर छह करोड़ टन रिफाइनिंग क्षमता की दुनिया की सबसे बड़ी रिफाइनरी बनाने के लिये यहां सार्वजनिक क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड के बीच संयुक्त उद्यम स्थापना के लिये समझौते पर हस्ताक्षर किये गये.
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान और पेट्रोलियम मंत्रालय में सचिव केडी त्रिपाठी की उपस्थिति में तीनों तेल कंपनियों के चेयरमैन ने संयुक्त उद्यम समझौते पर हस्ताक्षर किये. यह रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल परिसर महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में लगाया जाएगा जिस पर करीब 40 अरब डॉलर (तीन लाख करोड़ रुपये) की लागत आने का अनुमान है. इस रिफाइनरी में 50 प्रतिशत भागीदारी के साथ इंडियन ऑयल सबसे बड़ी भागीदार होगी जबकि शेष 25 - 25 प्रतिशत हिस्सेदारी बीपीसीएल और एचपीसीएल के पास होगी.
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कहा, छह करोड़ टन सालाना उत्पादन क्षमता वाली यह दुनिया की सबसे बड़ी रिफाइनरी होगी. देश की तीन बड़ी कंपनियों के बीच यह संयुक्त उद्यम पहली बार हो रहा है. इस पर तीन लाख करोड़ रुपये का खर्च होगा. उन्होंने कहा इस रिफाइनरी को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी वाला बनाया जायेगा और इसमें किसी भी तरह का कच्चा तेल रिफाइन किया जा सकेगा.
उन्होंने कहा कि भारत अब केवल ईंधन का उपभोक्ता देश नहीं रह गया है, वह ईंधन बाजार में एक जिम्मेदारी वाली भूमिका निभाने की सिथति में आ गया है. यह रिफाइनरी विश्व के तेल व्यापार को प्रभावित करने वाली होगी और इसके माध्यम से भारत तेल के तर्कसंगत मूल्य की दिशा में काम करेगा.
(न्यूज एजेंसी भाषा से)