देश की दिग्गज आईटी कंपनी इन्फोसिस (Infosys) के शेयरों में मंगलवार को अचानक 17 फीसदी तक की गिरावट आने से निवेशकों को भारी नुकसान हुआ है. दरअसल ये गिरावट कंपनी के मैनेजमेंट पर गंभीर आरोप लगने के बाद आई है. आरोप है कि इन्फ़ोसिस अपनी आय और मुनाफ़े को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने के लिए अपने बही-खातों में हेराफेरी कर रही है. जिसका असर शेयर बाज़ार में कंपनी के शेयरों की ट्रेडिंग पर दिखाई दे रहा है. मंगलवार को शेयरों में इस गिरावट से निवेशकों के करीब 53 हजार करोड़ रुपये डूब गए. बीएसई पर कंपनी का शेयर 15.94 प्रतिशत गिरकर 645.35 रुपये पर आ गया. वहीं एनएसई पर यह 15.99 प्रतिशत घटकर 645 रुपये प्रति शेयर रह गया.
इन्फोसिस के CEO सलिल पारिख और CFO नीलांजन राय गलत आर्थिक व्यवहार के आरोपों से घिर गए हैं. एथिकल एम्प्लॉइज नाम के इन्फ़ोसिस के अज्ञात कर्मचारियों के समूह ने इन्फ़ोसिस बोर्ड के साथ ही अमेरिका के सिक्यूरिटीज़ एंड एक्सचेंज कमीशन को एक पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि कंपनी का ज़्यादा मुनाफ़ा दिखाने के लिए निवेश नीति और एकाउंटिंग में छेड़छाड़ किया गया है और ऑडिटर को अंधेरे में रखा है. साथ ही उसके पास अपने आरोपों के प्रमाण में ई-मेल और वॉयस रिकॉर्डिंग भी है. ये पत्र 22 सितंबर को ही लिखा गया था.
वहीं एक बयान में कंपनी के चेयरमैन नंदन नीलेकणि ने कहा कि कंपनी की ऑडिट समिति इस मामले में एक स्वतंत्र जांच करेगी। शेयर बाजार को दी सूचना में नीलेकणि ने एक बयान में कहा कि समिति ने स्वतंत्र आंतरिक ऑडिटर ईकाई और कानूनी फर्म शारदुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी से स्वतंत्र जांच के लिए परामर्श शुरू कर दिया है. नीलेकणि ने कहा कि कंपनी के निदेशक मंडल के सदस्यों में से एक को 20 और 30 सितंबर 2019 को दो अज्ञात शिकायतें प्राप्त हुईं थीं. कंपनी ने सोमवार को व्हिसिलब्लोअर की शिकायत को ऑडिट समिति के समक्ष पेश करने जानकारी दी थी. (इनपुट-भाषा)