गैर-खाद्य विनिर्माण क्षेत्र और वैश्विक कॉमोडिटी मूल्यों में सुधार के साथ मार्च 2013 में थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति घटकर 6.2 से 6.6 प्रतिशत के बीच आ सकती है। मौजूदा वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति स्थिर रही और जनवरी 2013 में पिछले तीन सालों के दौरान सबसे कम 6.62 प्रतिशत से नीचे आ गई।
पिछले साल खाद्य मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी उच्च प्रोटीन युक्त खाद्यों में तेजी की वजह से रही, जबकि इस साल अनाजों पर दबाव रहा। वहीं दूध और अन्य प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थों की कीमतें घटी हैं। हाल ही में जनवरी 2013 में प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी और डीजल के मूल्यों में बढ़ोतरी की वजह से मंहगाई पर दबाव बढ़ सकता है। हालांकि, मंहगाई में सुधार का रूख जारी रहने की उम्मीद है।
मौजूदा वित्त वर्ष में लगभग सभी प्रमुख अग्रिम और उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में मंहगाई कम हुई है। प्रमुख अग्रिम और विकासशील देशों द्वारा जारी नीति का सकारात्मक प्रभाव मुद्रास्फीति की उम्मीदों पर पानी फेर सकता है। हालांकि, अल्पावधि में कमजोर वृद्धि के रूख से नीतिगत प्रभाव का असर मुद्रास्फीति पर नहीं पड़ सकता है और मुद्रास्फीति को लेकर उम्मीदें मौजूदा लक्षित मुद्रास्फीति दरों के आसपास रह सकती है।
विश्व बैंक द्वारा जारी वैश्विक आर्थिक संभावनाएं, जनवरी 2013 के अनुसार धातुओं को छोड़कर ज्यादातर वैश्विक कमोडिटीज के मूल्यों में वर्ष 2013 और 2014 में गिरावट की उम्मीद है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मुद्रास्फीति में सुधार का घरेलू मूल्यों पर भी असर दिखेगा। आरबीआई की मौद्रिक नीति मंहगाई को काबू करने और विकास के अनुकूल सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य पर काम कर रही है।
बाहरी और घरेलू स्रोतों से विकास पर बढ़ते खतरे और मौजूदा मु्द्रास्फीति के दबावों के संदर्भ के कड़ी मौद्रिक नीति के चलते अर्थव्यवस्था में तेज गिरावट दर्ज की गई है। वर्ष 2012-13 की तीसरी तिमाही में मुद्रास्फीति में कुछ सुधार देखा गया और वित्तीय सुधार की उम्मीदों के साथ अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति में और सक्षम मौद्रिक नीति की संभावना बढ़ी है।