कमजोर मॉनसून जल्द ही महंगाई की मार में तब्दील हो सकता है और खासकर दालों पर तो इसका असर दिखने भी लगा है।
हालांकि, सरकार की चिंता दाल के अलावा खाने के तेल को लेकर भी है। साथ ही सरकार को इस बात का डर भी सताने लगा है कि कहीं देश की जरूरतें पूरी करने के लिए इन चीजों का आयात न करना पड़ जाए।
कमज़ोर मॉनसून को लेकर सरकार की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। खाद्य मंत्रालय के ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि सबसे बुरा असर दाल के दामों पर पड़ा है। पिछले एक हफ्ते में मूंग दाल का भाव 66 रुपये किलो से बढ़कर 74 रु. उड़द दाल 64 रुपये से 70 रु. और चना दाल 60 रुपये से चढ़कर 65 के भाव हो चुका है जबकि सिर्फ बीते तीन दिनों में 71 रुपये किलो बिक रही अरहर दाल अब 75 रु. किलो हो गई है।
एनडीटीवी से बातचीत में खाद्य मंत्री ने माना कि बढ़ते दाम कमज़ोर मॉनसून का नतीजा है हालांकि फिक्र सिर्फ दाल की नहीं खाने के तेल को लेकर भी है। उन्होंने कहा कि उनकी चिंता दाल और खाने−पीने की तेल को लेकर है। उनके अनुसार समीक्षा की गई है कि कितनी दाल की ज़रूरत होगी। जो भी अतिरिक्त स्टाक की ज़रूरत होगी उसकी कमी आयात करके पूरी करनी होगी।
पिछले एक हफ्ते में चीनी और ज़रूरी सब्जियां भी महंगी हुई हैं और आम लोगों की परेशानी बढ़ती जा रही है।
आम लोगों की शिकायत है कि कुछ भी बचत करना असंभव हो गया है। कुछ भी पैसा नहीं बच रहा है।
पहले महत्वपूर्ण फसलों की बुआई पर असर और अब खाने−पीने की ज़रूरी चीज़ों की कीमतों में बढ़ोत्तरी… कमज़ोर मॉनसून का असर अब साफ तौर पर दिखने लगा है। अगर अगले कुछ दिनों में मॉनसून ज़ोर नहीं पकड़ता है तो हालात और खराब होंगे।