भारत तीव्र आर्थिक वृद्धि हासिल करने वाला देश बना हुआ है. मुख्य रूप से कृषि उत्पादन बेहतर रहने से सितंबर तिमाही में देश की जीडीपी वृद्धि दर बढ़कर 7.3 प्रतिशत रही. हालांकि नोटबंदी के कारण आने वाले महीनों में वृद्धि की यह गति प्रभावित हो सकती है.
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) इससे पूर्व तिमाही में 7.1 प्रतिशत थी. हालांकि पिछले वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में यह 7.6 प्रतिशत थी. भारत ने आर्थिक वृद्धि के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है और दुनिया में तीव्र वृद्धि हासिल करने वाला देश बना हुआ है.
इस बीच, आठ बुनियादी क्षेत्रों की वृद्धि दर अक्टूबर में 6.6 प्रतिशत रही, जो छह महीने का उच्च स्तर है. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा जारी आंकड़े के अनुसार सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में 7.1 प्रतिशत रही, जो इससे पूर्व तिमाही और पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 7.3 प्रतिशत थी.
आंकड़े के अनुसार जिन क्षेत्रों में जुलाई-सितंबर तिमाही में 7.0 प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर्ज की गई है, उसमें लोक प्रशासन, रक्षा तथा अन्य सेवाएं, वित्त, बीमा, रीयल एस्टेट और पेशेवर सेवाएं, विनिर्माण तथा व्यापार एवं परिवहन तथा संचार एवं प्रसारण से जुड़ी सेवाएं शामिल हैं.
आलोच्य तिमाही में कृषि, वानिकी और मत्स्यन की वृद्धि दर 3.3 प्रतिशत, खान एवं खनन शून्य से नीचे 1.5 प्रतिशत, बिजली, गैस, जल आपूर्ति और अन्य जन-उपयोगी सेवाओं की वृद्धि दर 3.5 प्रतिशत एवं निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर 3.5 प्रतिशत रही. पिछले वित्त वर्ष 2015-16 की जुलाई-सितंबर तिमाही में इन क्षेत्रों की वृद्धि दर क्रमश: 2.0 प्रतिशत, 5.0 प्रतिशत, 7.5 प्रतिशत तथा 0.8 प्रतिशत थी.
विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में घटकर 7.1 प्रतिशत रही, जो इससे पूर्व वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 9.2 प्रतिशत थी. वृद्धि की संभावना पर नोटबंदी के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर मुख्य सांख्यिकीविद् टीसीए अनंत ने कहा कि विशेषज्ञों ने नोटबंदी के जो प्रतिकूल प्रभाव के बारे में बयान दिए हैं, वह बिना किसी आंकड़े के हैं.
उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'लोग कुछ चीजों के अनुमान के आधार पर बयान दे रहे हैं. एक बार आंकड़ा आ जाएं है, मैं बयान दूंगा.' मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन ने कहा, 'चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में जीडीपी वृद्धि दर का आंकड़ा अर्थव्यवस्था के बेहतर और स्थिर प्रदर्शन को प्रतिबिंबित करता है, लेकिन दूसरी छमाही के लिए परिदृश्य को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है. हमें इस बारे में कुछ कहने से पहले इसका विश्लेषण करना होगा. हालांकि सकल स्थिर पूंजी निर्माण (जीएफसीएफ) में गिरावट चिंता का कारण है. यह निवेश का संकेतक है.
जीएफसीएफ वृद्धि दर चालू एवं स्थिर मूल्यों पर 2016-17 की दूसरी तिमाही में क्रमश: शून्य से 3.2 प्रतिशत तथा शून्य से नीचे 5.6 प्रतिशत थी. वहीं 2015-16 की दूसरी छमाही में यह क्रमश: 7.5 प्रतिशत तथा 9.7 प्रतिशत थी. चुनौतियों के बारे में सुब्रमणियन ने कहा कि दूसरी तिमाही में निवेश में उल्लेखनीय रूप से कमी आई है और इस पर नजर रखने की आवश्यकता है.
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