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स्टार्टअप कंपनियों के अच्छे दिनों पर लगा ग्रहण, फंड की कमी से कई ब्रांड गुमनाम

स्टार्टअप कंपनियों के अच्छे दिनों पर ग्रहण लगना शुरू हो गया है. अपेक्षित मुनाफा न मिलने, परिचालन लागत न निकल पाने और निवेशक के अभाव में स्टार्टअप कंपनियां फंड की कमी से जूझ रही हैं.
NDTV Profit हिंदीChaturesh Tiwari
NDTV Profit हिंदी09:46 AM IST, 20 Aug 2016NDTV Profit हिंदी
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स्टार्टअप कंपनियों के अच्छे दिनों पर ग्रहण लगना शुरू हो गया है. अपेक्षित मुनाफा न मिलने, परिचालन लागत न निकल पाने और निवेशक के अभाव में स्टार्टअप कंपनियां फंड की कमी से जूझ रही हैं. एक अनुमान के मुताबिक पिछले 8 महीनों के दौरान कंपनियों के बंद होने, बिकने या ब्रांडों को खत्म करने, वेतन में देरी, छंटनी और शेयरधारकों की ओर से चेतावनी मिलने जैसे कई मामले सामने आए हैं, जो ई-कॉमर्स की खराब सेहत का संकेत दे रहे हैं.

कई स्टार्टअप जो ब्रांड बनकर लोगों की जुबान पर थे, अब गुमनाम हो गए हैं.  हाल ही में टाइनी आउल, पेपरटैप, जूरूम्स,  पर्पल स्क्वरल, फैशनारा और इंटैलिजेंट इंटरफेसेस जैसे प्रमुख स्टार्टअप का शटर डाउन हो चुका है. एक्सक्लूसिवली और टैक्सीफॉरश्योर के बाद आस्कमी भी अब इस सूची मेंजुड़ गई है.

'आस्कमी' हुई दिवालिया

सबसे ताज़ा उदाहरण आस्कमी.कॉम का है. कंज्यूमर इंटरनेट सर्च कंपनी आस्कमी ने भी अपना परिचालन बंद कर दिया है. अधिकारियों का कहना है कि फंड जुटाने में नाकाम रहने से कंपनी ने अपने कई कार्यालय बंद कर दिए हैं जिनमें गुडग़ांव स्थित मुख्य कार्यालय भी शामिल है. आस्कमी अपनासंपूर्ण परिचालन 1 सितंबर को पूरी तरह से बंद कर देगी. कंपनी के ऑनलाइन मार्केटप्लेस ई-ग्रोसरी, फाइनैंस और अन्य व्यवसाय नकदी की किल्लत से जूझ रहे थे. लगभग 2000 कर्मचारियों को वेतन बकाया है और 150,000 से अधिक विक्रेताओं के बकाया का भुगतान नहीं किया गया है. आस्कमी ग्रुप में मलेशिया के अरबपति टी आनंदा कृष्णन की एस्ट्रो होल्डिंग के स्वामित्व वाली गेटइट इन्फोसर्विसेज की बड़ी हिस्सेदारी है.

टैक्सीफॉरश्योर
कैब एग्रीगेटर टैक्सीफॉरश्योर का है, जिसे 18 महीने पहले भावेश अग्रवाल के नेतृत्व वाली कंपनी ओला ने करीब 20 करोड़ डॉलर (तकरीबन 1300 करोड़ रुपये) में खरीदा था. कंपनी के कॉल सेंटर, ड्राइवर रिलेशन, बिजनेस डेवलपमेंट और कस्टमर केयर विभाग के कर्मचारियों पर छटनी की तलवार लटक रही है. हालांकि, इस मामले में ओला ने कोई बयान नहीं दिया है. माना जा रहा है कि कर्मचारियों की छंटनी से हर महीने 30 करोड़ रुपये की बचत होगी.  गौरतलब है कि ओला की स्थापना 2011 में हुई थी. कंपनी में टाइगर ग्लोबल, मैट्रिक्स पार्टनर्स, सिक्योआ कैपिटल, स्टीडव्यू कैपिटल और हाल में ही सॉफ्टबैंक आदि ने निवेश किया है.

एक्सक्लूसिवली.कॉम
कुछ ऐसा ही हाल फैशन पोर्टल एक्सक्लूसिवली.कॉम का है जिसे कुणाल बहल के नेतृत्व वाली कंपनी स्नैपडील से बंद करने का निर्णय किया है. स्नैपडील ने फरवरी में ही 2.5 करोड़ डॉलर (करीब 162.5 करोड़ रुपये) में शेयर और नकद सौदे के तहत इसे खरीदा था. स्नैपडील ने अपने इस कदम को एकीकरण बताया है लेकिन एक सच यह भी है कि एक्सक्लूसिवली.कॉम प्रवर्तक कंपनी द्वारा तय लक्ष्य को पूरा करने में विफल रहा है. अब एक्सक्लूसिवली के सभी प्रोडक्ट स्नैपडील पर ही उपलब्ध होंगे. इनकी डिलीवरी भी स्नैपडील के नेटवर्क के जरिये की जाएगी.  

इंटेलिजेंट इंटरफेसेस
हाउसिंग डॉट कॉम के पूर्व सीईओ और को-फाउंडर राहुल यादव ने इंटेलिजेंट इंटरफेसेस नाम का स्टार्टअप शुरू किया था. उनकी नई कंपनी को फिल्पकार्ट के सचिन और बिन्नी बंसल के अलावा क्रिकेटर युवराज सिंह से भी फंड मिला था, लेकिन उनका यह वेंचर भी फेल साबित हुआ. राहुल को अपनी कंपनी 'इंटेलीजेंट इंटरफेस' के लिए 170 करोड़ फंड आने की उम्मीद थी. राहुल यादव ने इस कंपनी की स्थापना के दौरान कहा था कि यह सरकार की डेटा एनालिसिस में मदद करेगी। लेकिन उनकी फर्म को न सरकार से और न ही किसी निजी एजेंसी से अब तक कोई काम मिला.  

टाइनी आउल
टाइनी आउल की स्थापना 2014 में मुंबई आईआईटी के मंदाद, गौरव चौधरी, सौरभ गोयल, शिखर पालीवाल और तनुज खंडेलवाल ने की थी. रेस्त्रां सेवाएं प्रदान करने वाला स्टार्टअप टाइनीआउल इस खंड का जाना-माना स्टार्टअप था लेकिन 22 मई 2016 के बाद यह ब्रांड गुमनाम हो गया. हालांकि सिकोया व मैट्रिक्स ने टाइनी आउल में भारी-भरकम निवेश किया था. लॉजिस्टिक की ऊंची लागत एवं बाजार में मिल रही प्रतिस्पर्धा के चलते टाइनीआउल काफी समय पहले से फंड से जूझ रही थी. कंपनी ने अपनी वित्तीय सुधारने के लिए पिछले साल कर्मियों की छंटनी भी की थी लेकिन यह तरीका भी कारगर नहीं रहा. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में पिछले तीन वर्षों में लगभग 400 रेस्त्रां स्टार्टाअप खुले हैं.

पेपरटैप  
इससे पहले अप्रैल में ग्रोसरी स्टार्टअप पेपरटैप ने भी बिजनेस ठप होने की वजह से 500 लोगों को निकाला था। इससे पहले अप्रैल में ग्रोसरी स्टार्टअप पेपरटैप ने भी बिजनेस ठप होने की वजह से 500 लोगों को निकाला था। स्नैपडील के समर्थन वाली पेपरटैप ने अपनी नकदी से जूझ रहे किराना की आपूर्ति के परिचालन को बंद कर दिया है. कंपनी अब केवल लॉजिस्तिक कारोबार पर ध्यान केंद्रित कर रही है.

और भी नाम हैं इस कड़ी में
जूरूम्स, पर्पल स्क्वरल, फैशनारा भी अपना कारोबार समेट चुकी हैं. इसके अलावा एक दर्जन से अधिक स्टार्टअप कंपनियां फंड की कमी के चलते बंद होने की कगार पर हैं.

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लेखकChaturesh Tiwari
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