भारत व अमेरिका सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र से बिजली उत्पादन और संग्रहण में बड़े पैमाने पर सहयोग की सम्भावनाएं तलाश रहे हैं ताकि भारत में बिजली कटौती को अतीत का विषय बनाया जा सके।
दोनों देशों ने नवीकरणीय स्रोतों के जरिए ऊर्जा उत्पादन प्रोत्साहित करने के लिए और विभिन्न नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को ग्रिड से जोड़ने तथा संग्रहण प्रौद्योगिकी पर वित्तीय विकल्पों पर चर्चा के लिए एक समूह गठित किया है।
भारतीय योजना आयोग के सदस्य बीके चतुर्वेदी व अमेरिकी ऊर्जा मंत्री स्टीवन कू की सह-अध्यक्षता में हाल ही में सम्पन्न हुई भारत-अमेरिका ऊर्जा वार्ता में शुक्रवार को यहां इस समूह के गठन का निर्णय लिया गया।
भारतीय दूतावास से जारी एक समाचार विज्ञप्ति के मुताबिक वार्ता में भारतीय विदेश सचिव रंजन मथाई, अमेरिकी ऊर्जा उप-मंत्री डेनियल पोनेमैन व दोनों देशों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
बयान में कहा गया कि वार्ता में इस बात पर ध्यान दिया गया कि अमेरिका में शेल गैस की खोज के साथ व्यापार व निवेश के कई अवसर खुले हैं और भारतीय कम्पनियों ने इस क्षेत्र में निवेश भी किया है।
अमेरिका ने गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (गेल) को अमेरिका में सेबिन पास टर्मिनल से तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) भारत को निर्यात करने की भी अनुमति दी है।
वार्ता में अपेक्षाकृत कम खर्चीली एलएनजी के अमेरिका से आयात के भारत, भारतीय ऊर्जा क्षेत्र व भारत में विकास की सम्भावनाओं पर असर की चर्चा की गई।
दूतावास ने कहा कि वार्ता में दोनों देशों के नवीकरणीय स्रोतों व कार्बन की कम मात्रा वाले संसाधनों से सक्रिय ऊर्जा उत्पादन की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
दोनों पक्षों ने वैकल्पिक उपयोगों में कार्बन कैप्चर एंड सिक्वे स्ट्रेशन (सीसीएस) के जरिए उत्सर्जित होने वाले कार्बनडायऑक्साइड के उपयोग में सहयोग बढ़ाने का फैसला लिया।
दूतावास के मुताबिक वार्ता में विभिन्न उद्योगों से कार्बन डायऑक्साइड उत्सर्जन के मूल्यांकन के लिए और ऐसे उत्सर्जन को घटाने के लिए कदम उठाने के लिए निम्न कार्बन विकास पर नया कार्य समूह बनाने की भी सहमति हुई।
इससे पहले चार कार्यसमूहों-तेल एवं गैस, कोयला, बिजली और ऊर्जा, क्षमता, नई प्रौद्योगिकी और नवीकरणीय ऊर्जा पर-ने 25 और 26 सितम्बर को बैठक में बिजली ग्रिड, स्वच्छ जीवश्म ईंधन और ऊर्जा सक्षमता पर सहयोग के विविध मुद्दों पर चर्चा की।