भारत एवं जर्मनी ने गुरुवार को हरित ऊर्जा, शिक्षा, कृषि और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के छह समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
दोनों देशों के बीच दूसरी अंतर-सरकारी वार्ता के बाद जर्मनी की यात्रा पर पहुंचे भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और मेजबान देश की चांसलर एंजेला मर्केल की मौजूदगी में समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। प्रधानमंत्री और चांसलर ने बैठक में साझेदारी और सहयोग के क्षेत्रों पर चर्चा की।
बैठक के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच उच्चस्तरीय द्विपक्षीय संबंध के कई क्षेत्रों में सहयोग की गुणवत्ता में पर्याप्त और निश्चित सुधार हुआ है।
उन्होंने कहा, "हम रक्षा सहयोग का प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, भारत में सह विकास और सह उत्पादन के रूप में विस्तार होते देखना चाहते हैं।"
हरित ऊर्जा गलियारा बनाने के लिए भारत के नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री फारूक अब्दुल्ला और जर्मन पार्लियामेंट्री स्टेट सेक्रेट्री गुडरुन कोप ने समझौते पर हस्ताक्षर किए।
शिक्षा एवं अनुसंधान में सहयोग बढ़ाने के लिए दो समझौतों पर दस्तखत हुए। संयुक्त घोषणा में कृषि, खाद्य सुरक्षा और असैनिक सुरक्षा अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग की प्रतिबद्धता जताई गई है। चांसलर मर्केल ने कहा कि अंतर-सरकारी वार्ता ने आर्थिक और रणनीतिक समझौतों को मजबूत करने में मदद की है।
वार्ता में भारत की ओर से विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद, वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा, नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री फारूक अब्दुल्ला, मानव संसाधन विकास मंत्री एमएम पल्लम राजू और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री एस जयपाल रेड्डी ने हिस्सा लिया। जर्मनी के सात मंत्रियों ने मर्केल का सहयोग किया।
सातों मंत्रियों में गुइडो वेस्टेरवेल्ले (विदेश), फिलिप्प रोसलर (आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी), हैंस पीटर फ्रिएड्रिक (गृह), वोल्फगैंग स्चैउबले (वित्त), डेनियल बहर (स्वास्थ्य), पीटर अल्टेमैएर (पर्यावरण एवं परमाणु सुरक्षा) एवं जॉन वांका (शिक्षा) शामिल थे।
इससे पहले मनमोहन सिंह और उनके प्रतिनिधिमंडल को जर्मन संघीय चांसलरी में समारोहपूर्वक स्वागत किया गया।
जर्मनी और भारत के बीच पहली अंतर-सरकारी वार्ता 2011 में नई दिल्ली में आयोजित की गई थी। इस वार्ता में चांसलर मर्केल ने हिस्सा लिया था।