विशेषज्ञों के अनुसार महंगाई को देखते हुए आम बजट में करमुक्त आय की सीमा 25,000 रुपये बढ़ाकर 2.25 लाख रुपये की जा सकती है और वित्तमंत्री इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड में निवेशक पर कर में अतिरिक्त छूट का लाभ देने की योजना फिर घोषित कर सकते हैं ताकि आधारभूत सुविधाओं के विकास की परियोजनाओं के लिए अधिक दीर्घकालिक पूंजी जुटाई जा सके।
आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि नजदीक आ रहे आम चुनावों देखते हुए सरकार नौकरी पेशा तबके को कुछ राहत देने के लिए कर मुक्त आय की सीमा दो लाख रुपये से बढ़ाकर 2.25 लाख रुपये की जा सकती है। इस तर आवास ऋण पर डेढ़ लाख रुपये के बजाय दो लाख रुपये तक के ब्याज पर करछूट का लाभ दिया जा सकता है।
भारतीय कंपनी सचिव संस्थान (आईसीएसआई) के पूर्व अध्यक्ष निसार अहमद के अनुसार ‘‘इस समय दो लाख रुपये तक की सालाना आय करमुक्त है। महंगाई को देखते हुए यह कम है, पर सरकारी खजाने की स्थिति भी कठिन है, ऐसे में 2.25 लाख रुपये तक की आय करमुक्त हो सकती है। आयकर की धारा 80सी के तहत विभिन्न प्रकार के निवेश पर मिलने वाली एक लाख रुपये की कर छूट को भी बढ़ाकर कम से कम डेढ़ लाख रुपये किया जा सकता है।’’
दिल्ली शेयर बाजार के पूर्व अध्यक्ष और प्रमुख शेयर कारोबारी अशोक अग्रवाल भी मानते हैं, ‘‘2.25 लाख रुपये की सालाना आय कर मुक्त हो सकती है। लेकिन बड़े अमीरों पर ऊंची दर से कर लगाने से कारोबारी धारणा बिगड़ सकती है। इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड में 20,000 रुपये तक के निवेश पर कर लाभ सुविधा फिर शुरु हो सकती है। पिछले बजट में यह सुविधा समाप्त कर दी गई थी। राजीव गांधी इक्विटी बचत योजना को और आकर्षक बनाया जा सकता है।’’
वित्तमंत्री पी चिदंबरम स्वयं कह चुके हैं कि बजट में राजीव गांधी इक्विटी योजना को और आकर्षक बनाया जाएगा। पिछले साल तत्कालीन वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने इसकी घोषणा की थी। नए निवेशकों को शेयर बाजार में निवेश के लिये प्रोत्साहित करने के वास्ते 10 लाख रुपये तक की सालाना कमाई वाले तबके द्वारा 50,000 रुपये तक के निवेश पर उसे 50 प्रतिशत करलाभ देने का प्रावधान किया गया।
हाल ही में वित्तमंत्री ने मुंबई में योजना की शुरुआत की है। अशोक अग्रवाल के अनुसार ‘इस योजना को केवल नये निवेशकों के बजाय सभी छोटे निवेशकों के लिये खोला जा सकता है।’ उन्होंने कहा कि शेयर सौदों पर प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) भी समाप्त होना चाहिए। इस समय एसटीटी दर 0.1 प्रतिशत है।
एसाचैम प्रत्यक्ष कर समिति के अध्यक्ष वेदजैन के अनुसार रीएल्टी क्षेत्र को बढ़ावा देने और सस्ते आवास ऋण का लाभ बढ़ाने के लिए वित्तमंत्री आवास ऋण पर सालाना 3,00,000 रुपये तक के ब्याज पर कर छूट का प्रस्ताव कर सकते हैं। उन्होंने घर से दफ्तर और दफ्तर से घर के लिए मिलने वाली 800 रुपये के भत्ते को बढ़ाकर कम से कम 2,000 रुपये और चिकित्सा खर्च की भरपाई सीमा को भी 15,000 से बढ़ाकर सालाना 50,000 रुपये तक करने का सुझाव दिया।
पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट सुनील जैन के अनुसार आयकर की धारा 80सी के तहत बीमा प्रीमियम, लोकभविष्य निधि और भविष्य निधि जमा, पांच साल की सावधि बैंक जमा, राष्ट्रीय बचत पत्र जमा तथा दो बच्चों की फीस सभी को एक लाख रुपये के दायरे में रखा गया है। यह काफी कम है इसे बढ़ाकर कम से डेढ़ लाख रुपये किया जाना चाहिए। बेहतर स्थितियों में यह दो लाख रुपये होनी चाहिए।
बड़े अमीरों पर अधिक कर लगाने का बड़े उद्योग संगठनों ने विरोध किया है। उनका कहना है कि इससे कर अपवंचना बढ़ेगी अथवा पूंजी का प्रवाह दूसरे देशों की तरफ बढ़ सकता है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों ने कहा है कि 20 लाख रुपये सालाना से अधिक आय वालों के लिए 35 प्रतिशत कर का नया स्लैब बन सकता है।
वर्तमान में दो लाख रुपये की सालाना आय करमुक्त है। दो से पांच लाख तक की सालाना आय पर 10 प्रतिशत की दर से आयकर लगता है जबकि 5 लाख से 10 लाख रुपये की आय पर 20 प्रतिशत और 10 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत की दर से आयकर लगाया जाता है।
पिछले साल बजट पेश करते हुए तत्कालीन वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने बचत खाते में 10,000 रुपये तक की ब्याज आय को करमुक्त कर दिया था। इससे पिछले वर्ष 60 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों की 2.50 लाख रुपये तक की सालाना आय करमुक्त कर दी गई थी जबकि 80 वर्ष अथवा इससे अधिक के बुजुर्गों की विशेष श्रेणी बनाते हुए उनकी पांच लाख तक की सालाना आय कर मुक्त कर दी गई।