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इनकम टैक्स से जुड़े 10 नियम-कानून, जो अप्रैल, 2018 से बदल गए हैं

आयकर रिटर्न फाइल करने का वक्त चल रहा है. ऐसे में सभी लोगों को यह चिंता सताती है कि आयकर नियमों में सरकार ने क्या बदलाव किया है. उन्हें इन बदलावों के हिसाब से रिटर्न फाइल करने की चिंता रहती है. ऐसे में यह चिंता उन लोगों को ज्यादा हो जाती है जो बिना किसी की मदद के खुद  ही आयकर रिटर्न फाइल करते हैं.
NDTV Profit हिंदीProfit Hindi News Desk
NDTV Profit हिंदी11:58 AM IST, 10 Jul 2018NDTV Profit हिंदी
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आयकर रिटर्न फाइल करने का वक्त चल रहा है. ऐसे में सभी लोगों को यह चिंता सताती है कि आयकर नियमों में सरकार ने क्या बदलाव किया है. उन्हें इन बदलावों के हिसाब से रिटर्न फाइल करने की चिंता रहती है. ऐसे में यह चिंता उन लोगों को ज्यादा हो जाती है जो बिना किसी की मदद के खुद  ही आयकर रिटर्न फाइल करते हैं. 

वित्तवर्ष 2018-19 के आम बजट में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इनकम टैक्स के स्लैब तथा दरों में कोई बदलाव नहीं किया, लेकिन कुछ परिवर्तनों किए हैं, जिनसे बहुत से करदाता (टैक्सपेयर) प्रभावित होंगे. दरअसल, वर्ष 2018-19 के वार्षिक बजट में शेयरों व इक्विटी म्यूचुअल फंडों पर लगने जा रहे लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स से लेकर वरिष्ठ नागरिकों को ब्याज से होने वाली आय पर राहत तक कई बदलाव किए गए हैं. यहां यह बताना और ध्यान देना बहुत जरूरी है कि यह नियम वित्तवर्ष 2018-19 पर लागू हो रहा है. फिलहाल वित्तवर्ष 2017-18 के लिए आईटीआर (ITR) भरे जाने की प्रक्रिया जारी है. 
बता दें कि वित्तमंत्री ने एक ओर वेतनभोगियों के लिए नई मानक कटौती (स्टैंडर्ड डिडक्शन) का प्रस्ताव रखा, लेकिन साथ ही इनकम टैक्स पर लगने वाले सेस की दर को एक फीसदी बढ़ा दी है. इनमें से ज़्यादातर परिवर्तन 1 अप्रैल को वित्तवर्ष 2018-19 शुरू होते ही प्रभावी हो गए हैं.

40,000 रुपये का नया स्टैंडर्ड डिडक्शन 
इस नई कटौती का प्रस्ताव रखा गया है, जो मौजूदा ट्रांसपोर्ट एलाउंस (19,200 रुपये) तथा मेडिकल री-इम्बर्समेंट (15,000 रुपये) का स्थान लेगी. इस स्टैंडर्ड डिडक्शन से 2.5 करोड़ वेतनभोगी लाभान्वित होंगे. आमतौर पर पेंशनभोगियों को ट्रांसपोर्ट एलाउंस तथा मेडिकल री-इम्बर्समेंट जैसे कोई लाभ नहीं मिलते थे, लेकिन अब उन्हें भी इस स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ मिलेगा. इस नई स्टैंडर्ड डिडक्शन के प्रभावी होने के बाद वेतनभोगियों की करयोग्य आय में से सीधे तौर पर 40,000 रुपये घटा दिए जाएंगे. 

सेस में बढ़ोतरी 
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आयकर, यानी इनकम टैक्स पर वसूले जाने वाले शिक्षा उपकर, यानी एजुकेशन सेस को मौजूदा तीन फीसदी से बढ़ाकर चार फीसदी कर दिया है. यह सेस करदाता के देय आयकर पर लगाया जाता है. 

इक्विटी में निवेश पर लगेगा लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स 
इक्विटी शेयरों अथवा इक्विटी-ओरिएंटेड फंडों के यूनिटों की बिक्री से होने वाली आय के 1,00,000 रुपये से अधिक होने पर अब 10 फीसदी टैक्स (सेस अतिरिक्त) वसूला जाएगा. हालांकि करदाताओं को फायदा पहुंचाने के लिए 31 जनवरी, 2018 तक की आय को नहीं गिना जाएगा. इसका अर्थ यह हुआ कि आय के तौर पर जनवरी, 2018 के बाद की कीमतों पर हुए लाभ को ही गिना जाएगा.

इक्विटी म्यूचुअल फंडों से होने वाली डिविडेंड आय पर टैक्स 
इक्विटी-ओरिएंटेड म्यूचुअल फंडों द्वारा दिए जाने वाले डिविडेंड पर 10 फीसदी की दर से टैक्स लगाया जाएगा. 

एकल प्रीमियम वाली हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी पर इनकम टैक्स में छूट 
आमतौर पर स्वास्थ्य बीमा, यानी हेल्थ इंश्योरेंस करने वाली कंपनियां ग्राहकों को प्रीमियम में छूट दिया करती हैं, अगर वे कुछ सालों का प्रीमियम एक साथ अदा कर दें. लेकिन अब तक ऐसी पॉलिसियों पर भी कोई करदाता सिर्फ 25,000 रुपये तक की ही प्रीमियम की रकम पर आयकर में छूट ले पाता था. वित्तवर्ष 2018-19 के आम बजट में प्रस्तावित बदलावों के तहत अब एक साल से ज़्यादा के लिए ली गई पॉलिसियों की प्रीमियम एक साथ अदा किए जाने की स्थिति में एक सीमा तक उतने ही सालों तक छूट ली जा सकेगी. उदाहरण के तौर पर, आपका बीमाकर्ता दो साल की पॉलिसी के लिए एक साथ 40,000 रुपये अदा किए जाने की सूरत में आपको 10 फीसदी का डिस्काउंट दे रहा है, और आप वह अदा कर देते हैं, तो नए प्रस्तावित नियमों के तहत अब ग्राहक दोनों सालों में 20,000 रुपये के प्रीमियम पर कर में छूट हासिल कर सकता है. 

NPS से निकासी पर टैक्स में छूट 
सरकार ने नेशनल पेंशन सिस्टम, यानी NPS से पैसे की निकासी पर टैक्स में छूट का लाभ गैर-कर्मचारी उपभोक्ताओं, यानी जो उपभोक्ता कहीं नौकरी नहीं करते, लेकिन NPS के सदस्य हैं, को भी देने का प्रस्ताव रखा है. मौजूदा नियमों के तहत कहीं नौकरी करने वाले उपभोक्ता एकाउंट की अवधि पूरा होने या उससे बाहर आने का फैसला करने पर जब रकम को निकालते हैं, तो उसमें से 40 फीसदी रकम पर टैक्स नहीं वसूला जाता है. यही छूट गैर-कर्मचारी उपभोक्ताओं को नहीं दी जाती है, लेकिन अब वित्तवर्ष 2018-19 से यही लाभ उन्हें भी मिल सकेगा. 

वरिष्ठ नागरिकों के लिए ब्याज से आय पर छूट की सीमा बढ़ी 
अब वरिष्ठ नागरिकों को बैंकों तथा पोस्ट ऑफिसों में खोले गए बचत खातों तथा आवर्ती जमा खातों (रिकरिंग डिपॉज़िट या आरडी) पर मिलने वाले ब्याज से होने वाली आय में ज़्यादा रकम पर टैक्स में छूट हासिल होगी. मौजूदा समय में बचत खातों से होने वाली आय पर प्रत्येक व्यक्ति आयकर अधिनियम की धारा 80टीटीए के तहत 10,000 रुपये तक के ब्याज पर टैक्स में छूट हासिल कर सकता है, लेकिन अब टैक्स कानूनों में धारा 80टीटीबी जोड़ा गया है. इसके तहत वरिष्ठ नागरिकों को ब्याज से होने वाली आय में से 50,000 रुपये तक की रकम पर कर में छूट हासिल होगी. हालांकि वरिष्ठ नागरिक अब 80टीटीए के तहत मिलने वाली छूट का लाभ नहीं उठा सकेंगे. इसके अलावा सरकार ने प्रधानमंत्री वय वंदना योजना (PMVVY) के तहत निवेश की सीमा को भी 7.5 लाख से बढ़ाकर 15 लाख रुपये कर दिया है, तथा इस योजना को मार्च, 2020 तक विस्तार देने का प्रस्ताव भी दिया है. वरिष्ठ नागरिकों के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री वय वंदना योजना (PMVVY) के तहत सुनिश्चित आठ फीसदी ब्याज दिया जाता है.

वरिष्ठ नागरिकों के लिए टीडीएस की सीमा बढ़ी 
वरिष्ठ नागरिकों को ब्याज से होने वाली आय पर स्रोत पर कर (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स या टीडीएस) की सीमा को 10,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर देने के प्रस्ताव किया गया है. 

वरिष्ठ नागरिकों के लिए सेक्शन 80डी के तहत डिडक्शन लिमिट बढ़ी 
आम बजट 2018-19 में सरकार ने हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम के रूप में दी जाने वाली रकम पर टैक्स में छूट की सीमा को बढ़ाने के प्रस्ताव किया है. इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80टी के तहत अब तक वरिष्ठ नागरिकों को 30,000 रुपये के प्रीमियम पर टैक्स में छूट दी जाती थी, लेकिन अब यह सीमा 50,000 रुपये हो जाएगी. 60 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों के लिए धारा 80डी के तहत दी जाने वाली छूट की सीमा 25,000 रुपये ही रहेगी. परंतु यदि उनके माता-पिता वरिष्ठ नागरिक हैं, तो वे 50,000 रुपये की अतिरिक्त छूट हासिल कर सकेंगे, जिससे कुल छूट 75,000 रुपये (25,000 + 50,000 रुपये) हो जाएगी, जो मौजूदा समय में सिर्फ 55,000 रुपये है. 

वरिष्ठ नागरिकों के लिए चुनिंदा बीमारियों के इलाज के इनकम टैक्स में छूट की सीमा बढ़ी 
चुनिंदा बीमारियों के इलाज पर किए गए खर्च की 1,00,000 रुपये तक की रकम अब करयोग्य आय में से घटाई जाएगी, जबकि अब तक अति-वरिष्ठ नागरिकों (80 वर्ष से अधिक) को 80,000 रुपये तथा वरिष्ठ नागरिकों (60 वर्ष से अधिक) को 60,000 रुपये की छूट इस मद में दी जाती थी.

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