जून में खत्म हुई पहली की तिमाही में भारतीय अर्थव्यस्था के विकास की रफ्तार में खासी कमी दर्ज की गई. वित्तवर्ष 2016-17 की पहली तिमाही में देश में जीडीपी विकास दर 7.1 फीसदी रही. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से बुधवार को जारी ये ताजा आकंड़े सरकार के लिए चिंता का सबब बन सकते हैं, क्योंकि इससे एशिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था में तेजी से बढ़ती आबादी के लिए नए रोजगार पैदा करने की क्षमता पर असर पड़ेगा.
हालांकि इस बीच भारत चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का दर्जा बनाए हुए है, लेकिन 7.6 फीसदी के अनुमानित विकास दर से काफी पीछे है.
इन आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी विकास दर बीती 6 तिमाहियों की तुलना में सबसे कम रही. पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में जीडीपी विकास का यह आंकड़ा 7.9 फीसदी रहा था. वहीं वित्त वर्ष 2016 की पहली तिमाही में जीडीपी 7.5 फीसदी की दर से बढ़ी थी.
सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, विनिर्माण, बिजली, गैस, जल आपूर्ति तथा दूसरी उपयोगी सेवाएं, व्यापार, होटल, परिवहन एवं संचार तथा प्रसारण से जुड़ी सेवाओं, वित्तीय, बीमा, रीयल एस्टेट तथा पेशेवर सेवाएं एवं लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं में आलोच्य तिमाही के दौरान वृद्धि 7 फीसदी से ऊपर रही. वहीं इस दौरान कृषि, वानिकी और मत्स्यन क्षेत्र का जीडीपी 1.8 प्रतिशत बढ़ा, जबकि खनन तथा उत्खनन क्षेत्र में 0.4 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई. इसके अलावा निर्माण क्षेत्र ने इस दौरान 1.5 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई.
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