केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी लागू होने के एक साल होने पर कहा कि देश माल एवं सेवाकर (जीएसटी) जैसी महत्वपूर्ण अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था का क्रियान्वयन सबसे कम बाधाकारी तरीके से करने में सक्षम रहा है. समाज के लिये योगदान के रूप में इस नयी व्यवस्था का सबसे अच्छा रूप अभी सामने आना बाकी है. उल्लेखनीय है कि जीएसटी व्यवस्था को पिछले साल आज ही के दिन लागू किया गया था.
इसमें 17 प्रत्यक्ष करों और कई उपकरों को समाहित किया गया है. जेटली ने कहा कि जीएसटी लागू करने वाले अधिकतर देशों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा. उन्हें स्वयं लगा था कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने कई संकट खड़े कर देगा. उन्होंने कहा , ‘‘ मैं खुद जब जीएसटी जैसे सुधार की बात करता था तो ‘अशांतिकारक’ जैसे शब्द का उपयोग करता था क्योंकि इसे लागू होने में समय लगता है. लेकिन अब एक साल बीत जाने के बाद मैं इस बात को लेकर आशवस्त नहीं हूं कि क्या मैं जीएसटी के लिए इस शब्द का उपयोग कर सकता हूं या नहीं. ’’
जेटली आज दो महीने बाद सार्वजनिक तौर पर दिखाई दिए हैं. वह अपने गुर्दे का इलाज कराने के बाद से आराम कर रहे हैं. जीएसटी के एक साल पूरे होने पर वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से उन्होंने यह संवाद किया. जेटली ने कहा , ‘‘ जिस आसान तरीके से यह बदलाव आया है , पूरी दुनिया में कहीं भी यह अभूतपूर्व है. मैं आश्वस्त हूं कि हमने पहले साल में जो प्रभावी लाभ देखें हैं वह लघु अवधि और मध्यम अवधि का श्रेष्ठ हैं , समाज को होने वाले योगदान के रूप में इसका सर्वश्रेष्ठ आना अभी बाकी है. ’’
उन्होंने कहा कि दीर्घावधि में जीएसटी का देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि , कारोबार सुगमता , व्यापार एवं उद्योग के विस्तार पर , मेक इन इंडिया पहल पर प्रभाव होगा. साथ ही यह ईमानदार कारोबारी गतिविधियों को बढ़ाएगा. जेटली ने कहा , ‘‘ जैसे - जैसे कर का संग्रहण बढ़ेगा , कर दरों को व्यवहारिक बनाने की क्षमता बढ़ेगी. ’’
उन्होंने कहा कि इनपुट टैक्स क्रेडिट व्यवस्था अपने आप में इतनी प्रभावी है कि ज्यादा से ज्यादा लोग अपनी सूचनाओं को सार्वजनिक कर सकें. ई - वे बिल को भी लागू किया जा चुका है. एक बार बिलों का मैच होना शुरू हो जाए तो कर की चोरी भी रुकेगी और इसे पकड़ना आसान भी हो जाएगा.