देश के केंद्रीय बैंक आरबीआई द्वारा 200 रुपये और 2000 रुपये के नए नोट जारी किए हुए करीब डेढ़ साल हो चुके हैं. यानी इतना समय बीत चुका है कि अब ये नोट पुराने होने लगे और इनका रंग खराब होने लगे. नोट के कटने-फटने की शिकायतें भी सामने आने लगी हैं. कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि आरबीआई और सरकार की ओर से इस दिशा में अभी कोई ऐसा कदम नहीं उठाया गया है जिससे लोगों की समस्या का समाधान हो सके.
रिपोर्ट में कहा गया है कि यहां पर सरकारी हीला-हवाली, काम के प्रति उनका रवैया आश्चर्यजनक रूप से सवालों के घेरे में खड़ा होता है. सरकार के काम जहां नियमावली के हिसाब से किए जाते हैं ऐसे में अभी तक ऐसा कोई नियम नहीं बनाया गया है या फिर कहें कि पुराने नियमों में ऐसा कोई ठोस बदलाव नहीं किया गया है जिससे लोगों की दिक्कतों को समय रहते ठीक किया जा सके. रिपोर्ट में यह सवाल उठा रहे हैं कि जब यह समस्या गंभीर हो जाएगी तब तक सरकार और आरबीआई हाथ पर हाथ धरे बैठी रहेगी.
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रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वर्तमान स्थिति में अगर किसी वजह से 200 और 2000 रुपये के नोट यदि गंदे हो जाएं तो इन्हें न तो बैंकों में जमा किया जा सकता है और न ही इन्हें बैंकों में बदला जा सकेगा.
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इसकी वजह यह है कि मौजूदा करेंसी नोटों के बदलने से जुड़े नियमों के दायरे में इन नए नोटों को लाया ही नहीं गया है. यानी केवल नियमावली में इतना सा बदलाव करना है, लेकिन यह भी अभी तक नहीं किया गया है.
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दावा किया जा रहा है कि कटे-फटे या गंदे नोटों को बदलने का मामला आरबीआई (नोट रिफंड) नियम के तहत आता है, जो आरबीआई ऐक्ट की धारा 28 का हिस्सा है. इस ऐक्ट में 5, 10, 50, 100, 500, 1,000, 5,000 और 10,000 रुपये के करेंसी नोटों का जिक्र है, लेकिन 200 और 2,000 रुपये के नोटों को इसमें जगह नहीं दी गई है. मीडिया में इस प्रकार की खबरें आई हैं लेकिन आरबीआई की नोट बदलने को लेकर दी गई नियमावली में यह साफ लिखा गया है कि भविष्य में जारी होने वाले नोटों पर भी बदलने के नियम लागू होते हैं.