ADVERTISEMENT

एचआरए (HRA) छूट पाने के लिए मां-बाप को देते हैं किराया, तो हो जाइए सावधान क्योंकि...

आईटीआर (ITR) फाइल करने का समय है. ऐसे में लोगों को अब आयकर रिटर्न फाइल करने वालों के दरवाजे खटखटाना पर पड़ रहा है. ऐसे में कुछ आयकर कानून लोगों को गाढ़ी कमाई बचाने में मदद करते हैं, जिनकी जानकारी और तरीका लोगों को पता नहीं होता. इसमें से एक है HRA.
NDTV Profit हिंदीProfit Hindi News Desk
NDTV Profit हिंदी11:33 AM IST, 04 Jul 2018NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

आईटीआर (ITR) फाइल करने का समय है. ऐसे में लोगों को अब आयकर रिटर्न फाइल करने वालों के दरवाजे खटखटाना पर पड़ रहा है. ऐसे में कुछ आयकर कानून लोगों को गाढ़ी कमाई बचाने में मदद करते हैं, जिनकी जानकारी और तरीका लोगों को पता नहीं होता. इसमें से एक है HRA.

इनकम टैक्स (आय कर) बचाने के लिए मकान किराया भत्ता (एचआरए HRA), यानी हाउस रेंट एलाउंस (House rent allowance) एक ऐसा मद है, एक ऐसी व्यवस्था जो आपको सबसे ज़्यादा मदद दे सकता है, और बहुत-से नौकरीपेशा लोग इसका इस्तेमाल भी करते हैं... आयकर बचाने के लिए बहुत-से नौकरीपेशा अपने माता-पिता को किराया देकर उस रकम पर इनकम टैक्स में छूट हासिल कर लेते हैं, लेकिन उन्हें कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है...

दरअसल, इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 10 (13 ए) के तहत किसी भी वेतनभोगी को एचआरए में उसके मूल वेतन का 50 फीसदी, एचआरए के मद में मिलने वाली रकम या चुकाए गए वास्तविक किराये में से मूल वेतन का 10 फीसदी घटाने पर बची रकम में से सबसे कम रकम पर आयकर से छूट मिलती है. बहुत-से नौकरीपेशा अपनी मां या पिता के नाम किराये की रसीदें देकर छूट हासिल कर लेते हैं. उनके लिए ध्यान रखने वाली ज़रूरी बात यह है कि मां या पिता को भी इस किराये को अपनी आय में दिखाकर इस पर टैक्स देना ज़रूरी है.

इससे भी ज़रूरी बात है कि जिस मकान का किराया नौकरीपेशा व्यक्ति अदा करने का दावा कर रहा है, वह उसी के नाम नहीं होनी चाहिए.

उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति को 50,000 रुपये मूल वेतन के रूप में प्राप्त होते हैं, और 25,000 रुपये एचआरए के मद में, और वह 25,000 रुपये ही वास्तव में किराया देता है, तो उसे 20,000 रुपये पर ही छूट मिल पाएगी, क्योंकि चुकाए गए किराये की रकम में से मूल वेतन का 10 फीसदी घटाने पर यही रकम बचती है. लेकिन अब याद रखने वाली बात यह है कि किराया वसूल करने वाले मां या पिता की आय 20,000 रुपये मासिक बढ़ जाएगी (यदि उनकी आय शून्य है, तो भी अब उनकी आय 20,000 रुपये मासिक मानी जाएगी), और इस रकम पर उन्हें इनकम टैक्स देना ही होगा.

इसलिए ज़रूरी है कि घर किराया देने वाले की संपत्ति न हो, और मां या पिता को दिया जाने वाला किराया बैंक के ज़रिये दिया जाए, और किराया वसूल करने वाला (मां या पिता) किराये के रूप में हासिल होने वाली उस रकम पर इनकम टैक्स अदा करे.

NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT